दलित व बस्तियों की उत्थान योजनाओं में है झमेले, धरातल पर दिख रहा शुन्य तो प्रतिनिधियों, अधिकारियों सहित उनके कारिंदे वसूली की खेल रहे खेलें

कैमूर-- जिला सहित प्रदेश व देश में दलित व दलित बस्तियों की उत्थान हेतु केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेकों योजनाएं कागजों तक तो अधिक भागों पर संपन्न दिख रहा है, पर धरातल पर शून्य दिख रहा है। योजनाएं धरातल पर साकार करवाने में अनुकूल लाभार्थियों को अनेकों झमेलों का सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अनुसूचित जाति समुदाय के कल्याण और विकास के लिए शुरू की गई कई योजनाओं का एक समूह है। इन योजनाओं का उद्देश्य दलित समुदाय को आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना है, दलित समुदाय के लोगों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार के अवसर, सामाजिक सुरक्षा, और अन्य कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करना है,ताकि वे सामाजिक भेदभाव और पिछड़ेपन से बाहर आकर मुख्यधारा में शामिल हो सकें। वर्तमान समय में देखा जाए तो 14 अप्रैल से भीम समग्र सेवा अभियान शुरू था, जिसके तहत अंबेडकर के नाम पर दलित बस्तियों के लिए बाबा साहब अंबेडकर संबल योजना एक ऐसी योजना है, जिसके तहत जहां 50% से अधिक अनुसूचित जाति की आबादी है जिसका उद्देश्य आधारभूत संरचना और विकास के कार्यों को सुनिश्चित करना था।

कैमूर जिला स्थित दलित बस्ती 98% आबादी की क्या है स्थिति


कैमूर जिला के भभुआं प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सोनहन पंचायत के ओदार गांव स्थित चिरैयाटांड़ टोला जहां की 98% दलित लोग निवास करते हैं। पूरी बस्ती में गली व नाली के लिए भूमि तो पर्याप्त है, पर पानी निकासी के लिए कोई नाली का निर्माण नहीं, पूरी बस्ती में सड़क निर्माण नहीं विद्यालय लगभग दो तीन किलोमीटर की दूरी पर, दलित बस्ती में आंगनबाड़ी केंद्र तो है पर वहां तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं


 वही बस्ती की लोगों की माने तो अधिकांश संख्या में लोगों को सरकार द्वारा जारी किसी भी योजना का लाभ अभी तक नहीं मिला। राशन कार्ड, आधार कार्ड, रोजगार गारंटी कार्ड, स्वास्थ्य कार्ड,जन्म प्रमाण पत्र, सहित आवास व भूमिहीनों को आवास निर्माण हेतु भूमि नही।


           पैसे न होने की वजह से योजना धरातल से गायब है 

             ‌जाति के नाम पर सिर्फ अमीर ही ले पाते हैं लाभ

स्थानीय दलित बस्ती के निवासी गंगा राम मुसहर, महेंद्र मुसहर, संजय राम रीना देवी, विनोद कुमार राम सहित दलित बस्ती के लोगों का कहना की बीच-बीच में जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के कारिंदे आते तो है समस्याओं की निराकरण के लिए पूछते भी हैं, पर उनसे जैसे ही समस्याओं की बात किया जाता है तो उनके द्वारा पैसों की मांग किया जाता है,जो की हम सभी के पास नहीं है इसलिए लिए किसी भी योजना का लाभ नही मिल पाता है।

यदि सचमुच धरातल पर देखा जाए तो जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों समेत उनके कारिंदों के द्वारा दलित व दलित बस्ती उत्थान की योजना के तहत सिर्फ पैसों की लेनदेन की खेल किया जा रहा है। जिसका लाभ जाति के नाम पर सिर्फ अमीरों द्वारा लिया जा रहा है।

रिपोर्टर

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