शिष्यों के मन-मस्तिष्क से जुड़़ने वाला ही सच्चा शिक्षक है-- रश्मि कुमारी

दिल्ली । राजकीय वरिष्ठ बालिका विद्यालय नंबर-2 मुबारकपुर दिल्ली विद्यालय इतिहास विषय की शिक्षिका रश्मि कुमारी ने अगले 5 सितंबर शिक्षक दिवस की तैयारियों के बीच कहा, की एक शिक्षक अपने पेशे में तभी सफल है, जब उसके शिष्य सिर्फ उनसे मिलने के लिए या उससे पढ़़ने के लिए ही स्कूल आने को व्यग्र हो जाएँ । यह स्थिति तब बनती है जब अध्यापक अपने शिष्यों के सुख-दुःख से सरोकार रखते हुए उनकी बेहतरी के लिए चिंतन करता हो । 

मुझे वो दिन नही भूलता है जब मैं अतिथि शिक्षिका के रूप में जुलाई 2012 में दिल्ली सरकार के अवन्तिका विद्यालय (1413030) में पदस्थापित हुई थी। मात्र तीन महीने में ही वहाँ स्थाई शिक्षिका की नियुक्ति के कारण मुझे रिलीव किया गया ।तब, सीनियर सेकंडरी स्तर की छात्राओं ने मेरा स्थानान्तरण रोकने के लिए सड़क जाम कर प्राचार्या पर दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन किया।  छात्राओं का यह अपनापन देख कर मुझे मेरी रिलीविंग से जितना दुःख नही हो रहा था ,उससे कहीं ज़्यादा अपनी अध्यापन-कला व  छात्राओं से बने भावनात्मक रिश्ते पर गर्व हो रहा था । तब, तत्कालीन प्राचार्या ने  छात्राओं से यह झूठा आश्वासन देकर  छात्राओं को समझाया-बुझाया कि .. रश्मि मैम कुछ ही दिनों के लिए जा रही हैं ।

एक अध्यापक को मिलने वाला यह सर्वोच्च पुरस्कार है कि उसके शिष्य उसके अध्यापन व व्यवहार से इतना जुड़ जाएँ कि उनसे बिछुड़ना उन्हे स्वीकार न हो। मेरा सौभाग्य है कि कमोबेस यही स्थिति मेरे प्रत्येक पदस्थापन में रही है। किंतु,ऐसी स्थिति को प्राप्त होना बहुत आसान नही है। आज के माहौल में जहाँ छात्र-शिक्षक सम्बन्ध बहुत से मुश्किल हालातों को प्राप्त हैं , जब आए दिन छात्रों व शिक्षकों बीच विवादों की खबरें देखने व सुनने को मिलता हो,ऐसे में छात्र-छात्राओं के दिल मे उतर कर उनका चहेता बन जाना किसी चमत्कार से कम नही ।ऐसे चमत्कार तब होते हैं जब हम अपने प्रत्येक शिष्यों की मन:स्थिति,उनके परिवार की आर्थिक स्थिति व समस्याओं को समझ कर उनसे जुड़ कर उनके समाधान के प्रति अपना  दायित्व निभाएं। जब विद्यार्थियों को यह लगने लगेगा कि अध्यापक हमारी चिंता करता है, तो वे ज़रूर आपसे जुड़ेंगे ।जब छात्र-छत्राओं को  अपने गुरुओं में अपने माँ-बाप नज़र आने लगे तो समझो कि आप सफल अध्यापक हैं । जब आपके शिष्य सिर्फ आपसे मिलने अपने स्कूल आए तो समझो कि आप सफल अध्यापक हो। एक अध्यापक की सबसे बड़ी पूँजी यही है कि उसके शिष्य उन्हे जीवन भर याद करें । एक अध्यापक का सबसे बड़ा सुख यही होता है कि उसके द्वारा शिक्षाप्राप्त छात्र एक योग्य नागरिक बन कर अपने कुल- कुनबे व समाज-राष्ट्र के गौरव का कारण बने तो ,आइए ,इस बार शिक्षक दिवस पर हम यही प्रण लें कि ऐसी कोशिशों में ही अपनी तमाम ऊर्जाएँ खर्चे जिनसे कि हमारे शिष्य हमसे जुड़ कर स्वयं को अपनी आजीविका की ओर मुख़ातिब करना शुरू कर दें।

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