भारतीय जनजीवन में दुर्गा पूजनोत्सव की है खास महत्ता

रिपोर्ट-जितनारायण शर्मा,गोड्डा झारखंड

बिहार ।। भारत के संदर्भ में ऐसा कहा जाता है कि यहां अनेक जाती  समुदाय के लोग रहते हैं जहां  विभिन्न संस्कृतियां वास करती है। किंतु इन तमाम विपरीत जाति धर्मों के बावजूद यह देश आज भी अपने एकता और अखंडता के मुद्दे पर दूसरे देशों के लिए  प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। भारत देश में धर्म और मजहब के लोग रहते हैं। राष्ट्र को एक सूत्र में जोडने की यह एक महान परंपरा है। यह भारत की उदात्त संस्कृति का ही परिणाम है कि सब धर्मों को मानने वाले लोग अपने-अपने धर्म को मानते हुए इस देश में भाईचारे की भावना के साथ सदियों से एक साथ रहते चले आ रहे हैं। यही कारण है कि पूरे विश्व में भारत के धर्म व संस्कृति सर्वोत्तम माने गए हैं। विभिन्न धर्मों के साथ जुड़े कई पर्व भी हैं, जिन्हें भारत के कोने-कोने में श्रद्धा, भक्ति और धूम-धाम से मनाया जाता है, उन्हीं में से एक है नवरात्र पर्व। इसमें नौ दिनों के दौरान आदिशक्ति जगदंबा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। ये नौ दिन वर्ष के सर्वाधिक पवित्र दिवस माने गए हैं। इन नौ दिनों का भारतीय धर्म एवं दर्शन में ऐतिहासिक महत्त्व है और इन्हीं दिनों में बहुत सी दिव्य घटनाओं के घटने की जानकारी हिंदू पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। माता के इन नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है, जो इस प्रकार हैं जो क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल है जिससे नवरात्रि से हमें अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख मिलती है। यह हमें बताती है कि इंसान अपने अंदर के मूलभूत श्रेष्ठ गुणों एवं मूल्य से नकारात्मकता पर विजय प्राप्त करे और स्वयं के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार करना चाहिए ताकि जीवन में वैभव बना रहे

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