
कृषि एवं कृषक के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का चिंतन बेहद अहम
- Lalu Yadav, Reporter Jharkhand/Bihar
- Dec 08, 2020
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दुर्गावती से संवाददाता धीरेंद्र कुमार सिंह की रिपोर्ट
दुर्गावती ( कैमूर ) ।। कृषि एवं कृषक के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का चिंतन बेहद अहम था । 29 जनवरी 1962 में एक लेख में उन्होंने कृषि के बारे में लिखा था कि "" देश के आर्थिक विकास का आधार कृषि है , क्योंकि भारत में 12 फीसदी जनसंख्या की आय का स्रोत कृषि ही है और राष्ट्रीय आय का आधा हिस्सा कृषि से आता है ,इस काऱण कृषि को पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए । लेकिन हमारे नेता कृषि के बजाय देश के औद्योगिकरण पर अधिक विश्वास करते हैं । उन्हें लगता है कि देश के गरीबी के जड़ में कारखानों का न होना है और कुछ हद तक सही भी है परंतु उद्योग भी कृषि के बिना नहीं पनप सकते । मौजूदा दौर की बात करें तो 2017 - 18 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश के 50 % कामगार कृषि पर निर्भर हैं और ये देश की जी.डी. पी. का 17 से 18 % है । कृषक , भूमि और अर्थव्यवस्था पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एक पत्र के अनुसार दीनदयाल जी का मानना था कि आम आदमी की आय तभी बढ़ेगी जब सभी को काम मिलेगा । उनका एक ध्येय वाक्य ( सिद्धान्त ) हर खेत को पानी ,हर हाथ को काम ,यदि यह सार्थक नही होगा तो कृषि और कृषक का सम्पूर्ण विकास संभव नहीं होगा ।
जब गांव मजबूत होंगे तो उद्योगों के उत्पादों की मांग बढ़ेगी लेकिन इसके लिए सरकार को ग्रामीण इलाकों में लोगों के आय बढ़ाने के लिए सफल प्रयास करने होंगे । कृषि करने वाले को अपने उत्पाद का सही मूल्य मिलना ही चाहिए । सरकार को एक तय न्यूनतम मूल्य पर खेती से होने वाले उत्पाद , खरीद की उचित व्यवस्था करनी चाहिए और इस मूल्य की घोषणा मौसम से पहले करनी चाहिए सहकारिता पर आधारित कृषि , जमीन को एक जगह इकठ्ठा करने जैसा है,इसलिए ये सही कदम नहीं है। यदि हम इन विन्दुओं को ध्यान में रखकर कृषकों को देवताओं की संज्ञा देते हैं तब यह विचार करने योग्य है कि क्या वर्तमान किसान आंदोलन को किसानों का आंदोलन कहा जाना कहाँ तक सही है । यदि अभी देश के किसान अपने खेतों में खरीफ और रवि के फसलों की कटाई बुआई में लगे हैं तब ये कौन हैं जो आन्दोलन कर रहे हैं,कहीं ये आढ़तिया और बिचौलिये तो नही कही इन लोगो द्वारा ही किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर गोली चलाने की योजनाबद्ध आंदोलन तो नहीं। इसकी जानकारी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के डी डी शोध पीठ के छात्र रवि शेखर ने बताया दुर्गावती प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत पंचायत कर्णपुरा गांव डिडिखिली के निवासी है।
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