
स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर आयोजित किया गया किसान सेमिनार
- Lalu Yadav, Reporter Jharkhand/Bihar
- Mar 11, 2021
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स्वामी सहजानंद सरस्वती के जयंती पर आज जमूई के जेपी पैलेस में अखिल भारतीय किसान महासभा ने किया किसान सेमिनार इस किसान सेमिनार की अध्यक्षता भाकपा माले जिला सचिव कॉमरेड शंभू शरण सिंह ने किया अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा की जो अन्न- वस्त्र उपजाएगा सो कानून बनाएगा मौके पर सेमिनार को सम्बोधित करते हुए बरिष्ट अधिवक्ता दयानन्द सिंह ने कहा कि स्वामी जी ने "मेरा जीवन संघर्ष" में लिखा है- "मुनि लोग तो स्वामी बन के अपनी ही मुक्ति के लिए एकांतवास करते हैं। लेकिन, मैं ऐसा हर्गिज नहीं कर सकता। सभी दु:खियों को छोड़ मुझे सिर्फ अपनी मुक्ति नहीं चाहिए। मैं तो इन्हीं के साथ रहूँगा और मरूँगा-जीऊँगा।"
वही किसान महासभा के जिला सचिव कॉमरेड मनोज पांडये ने कहा की स्वामी सहजानन्द जी का मानना था कि यदि हम किसानों, मजदूरों और शोषितों के हाथ में शासन का सूत्र लाना चाहते हैं तो इसके लिए क्रांति आवश्यक है। क्रांति से उनका तात्पर्य व्यवस्था परिवर्तन से था। शोषितों का राज्य क्रांति के बिना सम्भव नहीं और क्रांति के लिए राजनीतिक शिक्षण जरूरी है।
वही आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष बाबू साहब ने कहा कि स्वामी सहजानन्द सरस्वती ने काफी पहले अविराम संघर्ष का उद्घोष करते हुए कहा था कि यह लड़ाई तब तक जारी रहना चाहिए जबतक शोषक राजसत्ता का खात्मा न हो जाए। जब सन् 1934 में बिहार प्रलयंकारी भूकम्प से तबाह हुआ तब स्वामी सहजानन्द जी ने बढ़ चढ़कर राहत पुनर्वास में काम किया इस दौरान स्वामी जी ने देखा अपना सब कुछ गंवा चुके किसान मज़दूर को जमींदार के लठैत कर वसुल रहें हैं तब स्वामी जी ने किसानों के आवाज़ में नारा दिया कि "कैसे लोगे मालगूजारी, लठ्ठ हमारा ज़िदाबाद।" किसानों को शोषण मुक्त करने और जमींदारी प्रथा के खिलाफ़ लड़ाई लड़ते हुए स्वामी जी 26 जून 1950 को पंचतत्व में विलीन हो गयें।। आज वही स्थितियां कोरोना महामारी के बाद किसानों की स्थिति जब तबाह हो गई है तब मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून लाकर देश के किसानों की जमीन चाँद कॉर्पोरेट हाथों में बेचने की साजिस कर रही है इस लिए आज स्वामी सहजानंद को सरस्वती को याद करते हुए एक बार फिर से किसान मजदूरों को संगठित करते हुए इस कंपनी राज के खिलाफ संघर्ष करना होगा और मोदी सरकार को उखाड़ कर फेंकना होगा तभी इस देश के किसान सुरक्षित रह पाएंगे वही इंकलाबी नौजवान सभा के जिला प्रभारी जयराम तुरी, एवं ऐक्टू के जिला प्रभारी बासुदेव राय ने कहा कि
स्वामी सहजानंद सरस्वती के निधन के साथ ही भारतीय किसान आन्दोलन का सूर्य अस्त हो गया। उनके निधन पर दिनकर जी ने कहा था आज दलितों का सन्यासी चला गया। उनके जीते जी जमींदारी प्रथा का अंत तो नहीं हो सका लेकिन आज़ादी मिलने के साथ ही जमींदारी प्रथा का कानून बनाकर ख़त्म कर दिया गया। लेकिन आज भी किसान शोषण दोहन के शिकार बने हुए हैं कर्ज भुख से किसान आत्महत्या कर रहें सेमिनार में उपस्थित ब्रह्मदेव ठाकुर कंचन रजक, प्रवीण पांडे सुभाष सिंह सिंटू सिंह खूबलाल राणा, वासुदेव हासदा, राजकिशोर किसको,गुल्टन पुजहर, मोहम्मद सलीम अंसारी,सहित दर्जनों किसान उपस्थित
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