मेढ़को की तरह पैदा हो रहे समाज सेवक
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Mar 30, 2021
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कुदरा कैमूर से सवांददाता कुमार चन्द्र भूषण तिवारी की रिपोर्ट
कुदरा कैमूर ।। जैसे बरसात का मौसम आते ही मेढ़कों की बाढ़ सी आ जाती है ।वैसे ही चुनावी मौसम आते ही समाज सेवकों की भरमार सी लग जाती है। गांव में समाज में देखने को मिलता है कि दो वक्त की रोटी के लिए लोगों को कठिन से कठिन कार्य करने की मजबूरियां होती है, और कोई भी गरीबों की सुध लेने वाला नहीं होता है। पर चुनावी मौसम आते ही जिसने जिंदगी में किसी गरीब को एक रोटी नहीं दिया होगा। किसी प्यासे को एक बूंद पानी नहीं पिलाया होगा। वह भी चुनाव आते ही मुखिया पद पार्षद पद वार्ड की पद इत्यादि पदों पर बैठ कर मलाई काटने के चक्कर में लोगों को तरह-तरह के प्रलोभन देते हैं और दो-चार ₹500 की बदौलत वोट तो ले लेते हैं पर जीतने के बाद सरकार द्वारा आई हुई योजनाओं को खुद ही गटक जाते हैं ।और गरीबों के लिए भी कुछ मिलने को होता है तो रिश्वत पहले ले लिया जाता है।सावधान रहें ऐसे बहुरूपिया से क्योंकि दो पैसे के चक्कर में आपके वोट तो ले लेंगे पर आपका भविष्य बर्बाद कर देंगे।
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