लगातार हो रही बारिश से मोतिहारि सदर अस्पताल बना झील

चम्पारण ।। पुर्वी चम्पारण जिले में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण एक ओर जहां पूरे जिले में भारी जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो गयी है वही मोतिहारि सदर अस्पताल टापू में तब्दील हो चुका है । पिछले दो दिनों से ये अस्पताल  टापू में तब्दील है लेकिन किसी को इसकी जरा भी फिक्र नही है ।

क्या कभी आपने झील वाली अस्पताल देखा है,,,या कभी टापू वाले अस्पताल का सैर किया है ,,अगर नही किया है तो आइए मोतिहारी ,,, हम आपको दिखलाएंगे झील वे अस्पताल और हम आपको सैर करवाएंगे टापू वाले अस्पताल में जहां आम से लेकर खास सभी लोग तैरकर अपना इलाज करवाते हैं 

जी हां ये वही सदर अस्पताल है  जिसके जिम्मे  लगभग 50 लाख की आवादी के स्वास्थ्य की जिम्मेवारी है ,,ये वही अस्पताल है जहां  रोज़ाना सैकड़ो मरीजो का इलाज होता है ,,ये वही अस्पताल है जहां रोज़ाना लाखो लाख खर्च कर लोगो को  स्वास्थ्य  लाभ दिया जाता है ,,ये वही अस्पताल है जिसे लोग सेंसेशन की सरकार का आइना कहते है ,,लेकिन आज ये अस्पताल टापू में तब्दील है ,,,चारो ओर पानी का साम्राज्य कायम है  ,,टापू में तब्दील है ये सदर अस्पताल ,,आलम ये है कि यहां आए मरीजो व उनके परिजनों सहित  यहां के डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों को तैरकर अस्पताल आना जाना पड़ा है  ।मोतिहारि नगर निगम की लापरवाही से   आज ये अस्पताल तैर रहा है ,,यहां के उपकरण तैर रहे हैं और यहां खड़ी गाड़ियां तैर रही है ,,मरीज व उनके परिजन तैरकर इलाज करवाने को मजबूर है  वही इतनी बड़ी समस्या होने के बावजूद न तो किसी जनप्रतिनिधि को इसकी चिंता है और न किसी अधिकारी अथवा अस्पताल प्रबंधन को ,,,, अस्पताल  प्रबंधन   की स्थिति ये है कि इतनी बड़ी समस्या होने के बावजूद  अस्पताल प्रबंधन ने अबतक कोई कारगर कदम नही उठाया है यहां तक कि इसने  नगर निगम को इसकी सूचना तक नही दी है ।

डॉ आर के वर्मा डिम्स ने कहा कि अस्पताल  के टापू में तब्दील होने के कारण सबसे ज्यादा परेशान यहां आयी महिलाओं को हो रही है जिन्हें इस पानी के कारण अपना कपड़ा ऊपर कर  व हांथो में अपना चप्पल रख बीच पानी मे चलने व इलाज करवाने की मजबूरी हो रही है   ।

वही इस संबंध में मरीजो व उनके परिजनों का कहना है की सुशाशन की सरकार के इस  सदर अस्पताल  में झील व टापू जैसा नाज़ारा दिखना कोई पहली घटना नही है ।प्रत्येक साल बरसात के महीने में इस अस्पताल की यही दुर्दशा बनी रहती है ,,,भले ही इसके साफ सफाई व नाला निर्माण के नाम पर प्रत्येक साल लाखों करोरों का बजट बनता है   और कागजी खानापूर्ति भी होती है लेकिन   समस्या जस की तस बनी रहती है ।न तो अस्पताल प्रबंधन को इसके स्थाई निजात की चिंता है और न जिला प्रसाशन को और न किसी राजनेता को  इससे कोई लेना देना है ।  वो भी तब जब इसी मोतिहारि से प्रमोद कुमार जो दूसरी दफा बिहार सरकार के काबीना मंत्री है और राधामोहन सिंह जैसे दिग्गज नेता जो यहां से छठी बार सांसद है और केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं साथ मे अभी उत्तर प्रदेश के प्रभारी व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं लेकिन किसी को इसकी चिंता नही है ।जब जिला मुख्यालय के बीचोबीच स्थित सदर अस्पताल की ये स्थिति है तो आप अंदाजा लगा सकते है कि जिले  के अन्य हिस्सों की क्या दुर्दसा हो रही होगी 

रिपोर्टर

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