
भवन के अभाव में अभिभावक अपने बच्चों को नहीं भेजते विद्यालय
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- Dec 29, 2021
- 497 views
चांद, कैमुर ।। प्रखण्ड में प्राथमिक विद्यालय केकढा भवन के अभाव में बंद होने के कगार पर पंहुच गया है। गाँव के अभिभावक अपने बच्चों को जर्जर भवन के डर से विद्यालय नहीं भेजते हैं पढने के लिए। प्राथमिक विद्यालय में कुल 57 छात्र हैं। इन्हें पढाने के लिए चार शिक्षक है। विद्यालय का एक मात्र भवन जर्जर है। विद्यालय भवन का हालत यह है कि कभी भी ध्वस्त हो सकता है। दिवाल फट गया है छत में पानी बराबर रिसता रहता है। विद्यालय के कमरे में डर के मारे छात्र पढते नहीं है। विद्यालय में भवन के अभाव एवं जर्जरावस्था को देखते हुए अपने बच्चों को मजबूरी में निजी विद्यालयों में भेजते हैं। केकढा गाँव के अभिभावक ओमप्रकाश सिंह अजीत सिंह ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से विद्यालय भवन जर्जरावस्था में है। अभिभावकों ने कहा कि विद्यालय में एक ही भवन है। वह भी जर्जर है अभिभावकों ने कहा विद्यालय भवन कभी भी ध्वस्त हो सकता है। ग्रामीणों ने कहा विद्यालय के भवन गिरने से बच्चों की मौत का बराबर डर रहता है। गाँव के दलित परिवार के देवमुनी राम नंदलाल राम ने कहा विद्यालय भवन गिरने की स्थिति में है उन्होने कहा गरीबी की वजह से बच्चों को नीजी विद्यालय में पढ़ा नहीं सकते। दलित परिवार ने कहा कि विद्यालय में बच्चों को पढ़ने के लिए भेज देते हैं लेकिन डर बना रहता है। विद्यालय भवन की जर्जर अवस्था को देखते हुए प्रध्यानाध्यापक सुदर्शन पासवान ने कहा कि प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी को दिनांक 17/6/17 एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिनांक 6/7/17 को पत्र लिखकर विद्यालय भवन गिरने से अवगत कराया गया है। उन्होंने ने कहा शिक्षा वरीय पदाधिकारीओ को पत्र लिखकर भवन की जर्जर अवस्था की जानकारी देने के बाद भी कोई कारवाई नहीं किया गया। प्रधानाचार्य ने कहा विभाग के द्वारा नये भवन बनाने के लिए किसी प्रकार का पहल करते नहीं देखने के बाद पुनः 1/12/21 को पत्र लिखकर प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी को जर्जर भवन को देखते हुए कभी बच्चों के जीवन पर खतरा से अवगत करा दिया गया है। विद्यालय में शौचालय बेकार है। किचन का कमरा भी बेकार हो चुका है। विद्यालय में विजली की व्यवस्था है। विद्यालय में कुल 21 डेस्क बेंच है। विद्यालय में कोई चाहरदिवारी नहीं है। विद्यालय की चाहरदिवारी नहीं होने से असमाजिक तत्वों के द्वारा विद्यालय के समान इधर उधर कर दिया जाता रहा है। असमाजिक तत्वों के द्वारा विद्यालय में गंदा कर दिया जाता है। विद्यालय में पुराना चापाकल है जो कभी कभी चलता है। विद्यालय में नल से जल की कोई व्यवस्था नहीं है। विद्यालय में कभी भी विद्यालय शिक्षा समिति की बैठक नहीं होती है। विद्यालय में छात्रों को खेलने के लिए खेलकुद का समान है लेकिन फिल्ड नहीं होने से बच्चों को खेलने का मौका नहीं मिल पाता है। भभुआ धरौली पथ पर स्थित विद्यालय में पदाधिकारियों का आना जाना रहने के बावजूद भी जर्जर भवन की अनदेखी करना किसी बड़ी घटना का कारण हो सकता है।
रिपोर्टर