
तपती गर्मी में पक्षियों को बचाने के लिए एक कदम
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- May 06, 2022
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भभुआ कैमूर ।। पर्यावरण प्रेमी शिवम कुमार ने नगरपालिका मध्य विद्यालय भभुआ में पक्षियों के लिए दाना पानी रखने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें प्राचार्य नागेंद्र तिवारी ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ पेड़ों पर पक्षियों के लिए दाना पानी रख कर किया। शिवम ने बताया कि बिहार में इन दिनों बदन जला देने वाली गर्मी पड़ रही है. इंसान तो इंसान, पशु-पक्षी भी भीषण गर्मी से बेहाल नजर आते हैं। ऐसे में हम सब वेस्ट प्लास्टिक से बना कर पक्षियों के लिए जल पात्र पेड़ पर टांग कर दाना पानी देते हैं या फिर सुरक्षित स्थान पर रख देते हैं। भीषण गर्मी में प्यासे पंछी परेशान न हों, इसलिए लोगों को जागरूक करके प्रेरित किया गया। मिट्टी के बर्तन में पानी और दाना जगह-जगह पेड़ों पर टांगे ताकि सभी लोग इस पर्यावरण संरक्षण से जुड़ सकें। इस समय जिले का तापमान लगभग 43 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है. इस कारण आम लोगों को भी पानी के लिए परेशान होना पड़ा. ऐसे में युवाओं को पक्षियों के लिए भी कुछ करना चाहिए। इसी से पंछियों के लिए दाना-पानी जुटाने का ख्याल आया। शहर के अलग-अलग जगहों पर पेड़ की टहनियों पर जलपात्र और दाने का बर्तन लटकाया गया बाद में सरकारी भवनों की छतों पर भी जलपात्र और दाने वाले बर्तन रख दिए गए। शहर के स्कूल, कॉलेज और सरकारी भवनों के अलावा जहां पर काफी संख्या पर पेड़ों पर रहती उन सभी जगहों पर किया जा रहा है।
पर्यावरण प्रेमी शिवम कुमार ने बताया कि हर साल पक्षीयों को बचाने के लिए कई विभिन्न जगहों पर पशु , पक्षियों के लिए दाना - पानी की व्यवस्था के साथ ही घौंसला भी लगाया जाता है। जो इस समय कई घौंसले में पक्षी रहती हैं और उसके बच्चे भी देखने को मिल रहा हैं। पेड़-पौधों, नदी-पहाड़ की तरह पशु-पक्षियां भी पर्यावरण के अभिन्न अंग है। बेजुबान पक्षियों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य धर्म हैं। बदलते जलवायु परिवर्तन पर्यावरण के बीच पक्षियों के लिए यह दौर चिंता जनक हो गया है। कई विघालयों के छात्र-छात्राओं को इसके प्रति जागरूक व प्रेरित करते हैं कि घड़ा, चकोर, प्लास्टिक के डिब्बों आदि किसी पात्र में दाना-पानी सभी लोग घर की छत, बालकनी, पेड़-पौधों व अन्य जगहों पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में रखें ताकि सभी पक्षियां अपनी प्यास व भूख मिटा सकें। अपने भोजन और पानी के तलाश में उन्हें काफी भटकना पड़ता है। परिंदों की इस तड़प को रोका जा सकता है। ऐसे कई पक्षीयों जो विलुप्त होने की कगार पर हैं। पक्षियों को बचाने के लिए नई पीढ़ी को दाना और पानी डालने की परंपरा जीवित करना होगा। पहले की तरह लोगों को छत या बालकनी में पानी और दाना उपलब्ध कराना होगा। उनके प्राकृतिक आवास को भी बचाना होगा। पर्यावरण संरक्षण में उसकी खास भूमिका भी है। महज एक छोटा-सा कार्य से बेजुबानों की जान बचायी जा सकती हैं। जिससे हम सभी बेजुबानों की आवाज बन सकें। इस कार्यक्रम के दौरान विघालय के प्रभारी प्राचार्य पीयूष कुमार, गौतम सिंह, अरूण कुमार सिंह, सुदर्शन कुमार, सौरभ कुमार, रंजित कुमार एवं छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित रहें।
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