आचार्य मणिधर पाण्डेय का रक्षाबंधन मनाने को लेकर विचार

राजीव कुमार पांडेय की रिपोर्ट


रामगढ़।। मैं दो दिन से बहुत सारे आचार्यों महानुभावों का मत पढ़ रहा हूं फिर भी संशय में नहीं हूं।

क्योंकि मैं मानता हूं कि अब तक मैंने जितने भी ग्रंथों का अध्ययन किया है और परम्पराओं को अनुभव किया है उनके अनुसार रक्षाबंधन आज 11 अगस्त को ही हैं सिर्फ शाम को भद्राकाल के समय को छोड़कर।

रही बात महापंडितों, विद्वानों द्वारा १२ अगस्त को रक्षाबंधन घोषित करने की तो श्रीमद्भगवद्गीता और पुराणों में स्पष्ट कहा गया है कि जब पर्वों त्यौहारों उत्सवों और तिथियों को मनुष्य अपनी सुविधानुसार तोड़ मरोड़ कर मानने लगेंगे और एक दूसरे को नीचा दिखाने, स्वयं को श्रेष्ठतम साबित करने के लिए जनसामान्य को भ्रमित करने लग जाएं तो समझिए कि कलियुग चरम पर हैं,

रही बात १२ अगस्त को सुबह ०७:०५ बजे तक पुर्णिमा तिथि की तो जहां तक मुझे याद है कि उदियात तिथि मानने के लिए एक घड़ी नहीं ढ़ाई घड़ी का समय और कुछ मान्यताओं अनुसार आधा प्रहर का समय होना चाहिए।

हमारी स्थानीय मान्यताओं और परम्पराओं में पड़वा यानी प्रतिपदा तिथि को किसी भी प्रकार का शुभ कार्य वर्जित माना गया हैं, यहां तक कि नवरात्रा की घटस्थापना का शुभारंभ भी पूर्वसंध्या पर ही कर दिया जाता हैं।

तो फिर किस आधार पर प्रतिपदा तिथि को रक्षाबंधन मनाया जाएगा?

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