जाने क्यों आठ घंटो तक एम्बुलेंस में घूमता रहा मरीज
- एबी न्यूज, संवाददाता
- Oct 28, 2023
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जनकल्याण अस्पताल के डॉक्टर जितेंद्र मिश्रा ने क्या दिया बयान
कल्याण : कल्याण में पैसे के अभाव में एक 17 वर्षीय नाबालिक बच्चे को निजी अस्पताल से निकाले जाने का आरोप उसके परिजनों ने किया है वही अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद आठ घंटे तक एम्बुलेंस में ही उपचार के लिए दर दर युवक भटक रहा था पर किसी भी अस्पताल ने उसे भर्ती नही किया । अंततः शिवसेना शहर प्रमुख महेश गायकवाड़ ने हाथ बढ़ाकर उस मासूम की जान बचा लिया है ।
बताते चले कि नेवाली परिसर में रहने वाला 17 वर्षीय नाबालिक कमल चौहान देवी विसर्जन के लिए गया था । उस समय वह पानी मे डूब गया था तब स्थानिक नागरिकों ने उसे बचाकर शिवसेना मेडिकल वार्ड के पदाधिकारी धनेश म्हात्रे के मदद से कमल को कल्याण पूर्व के जनकल्याण हॉस्पिटल में भर्ती कराया । अस्पताल के डॉक्टर ने कमल के परिजनों को बताया कि वह बच जाएगा परंतु दूसरे दिन कमल को केईएम अस्पताल में रेफर कर दिया और बिल भी अधिक बनाया ।
कमल के भाई करण का आरोप है कि जब उसने अधिक बिल कैसे हुआ यह सवाल पूछा तो अस्पताल वालो ने उसके भाई को रेफर कर दिया, कमल को एम्बुलेंस में डालकर जब केईएम अस्पताल पहुचे तो यह कहकर वहा उसे वापस भेज दिया गया कि बेड खाली नही है । वहां से कमल को उल्हासनगर के एक निजी अस्पताल में लाया गया लेकिन वहां पर अस्पताल में कमल को भर्ती नही किया गया शायद अस्पताल को यह लग रहा था कि उसके परिजन पैसे नही भर सकेंगे। जैसे ही इसकी जानकारी महेश गायकवाड़ को लगी उन्होंने सर्वप्रथम एम्बुलेंस का बिल भरा और कमल को उपचार के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया । करीब आठ घंटे के बाद कमल को आखिर अस्पताल मिल ही गया ।
इस मामले में जनकल्याण के डॉ. जीतेंद्र मिश्रा का कहना है कि कमल के इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था लेकिन उनके परिवार को संदेह था कि उनके मरीज की मृत्यु हो चुकी है तो हमने कहा कि हम आगे इलाज नहीं कर सकते और उसे सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया ।
जबकि इस मामले में मरीज कमल के परिजनों का आरोप है कि जनकल्याण अस्पताल ने ज्यादा पैसे चार्ज किये थे और जब उनसे अधिक पैसे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मरीज को दूसरे अस्पताल में भेज दिया । आठ घंटों तक हम अस्पातल के लिए घूमते रहे ऐसे में अगर हमारे मरीज को कुछ हो जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता था । क्या ऐसा कृत्य करनेवाले अस्पातल पर किसी तरह की कार्यवाही होगी ? ताकि अन्य किसी मरीज के जीवन से अस्पताल प्रसाशन खिलवाड़ ना कर सके ।
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