हार का ठीकरा हम सनातनियों पर क्यों-अश्विनी कुमार

सवर्ण समाज  की अनदेखी कर कोई भी ज्यादा समय तक नहीं चल पाएगा


बिहार--- प्रदेश के बक्सर जिला निवासी कट्टर आरक्षण विरोधी समाज सेवक अश्विनी कुमार ने कहा कि हार का ठिकरा हम सनातनीयों पर क्यों।जब रोडवेज का किराया राजस्थान से यूपी का लगभग 2 गुना, महंगाई, भ्रष्टाचार, अहंकार, एट्रोसिटी एक्ट सुप्रीम कोर्ट के न्याय का गला घोटना, घटिया निर्लज्ज अहंकारी बिना वजूद के लोगों को टिकट देना, पुराने नेताओं को जिन्होंने भाजपा को मजबूत किया था टिकट काटना, उनका अपमान करना, टोल टैक्स, मुस्लिम महिलाओं की वोट मिल रही है इस धोखे में रहना, ब्राह्मणों  की उपेक्षा करना, पुलिसिया तंत्र का जनता पर हावी होना प्रताड़ित करना, कानून व्यवस्था के नाम पर इच्छा अनुरूप बुल्डोजर चलवाना यह मुख्य कारण है। सड़क पर चालान रेट आसमान पर पहुंचाना। टैक्स के नाम पर डकैत बन जाना व्यापारियों को लूटना।हम सनातनी केवल चुनाव केलिए होते है बाकी जीत कार्यकर्ता की नही चाणक्य जी दिलवाते है मीडिया कई मुद्दों पर प्रश्न किया तो साफ बोल देते है वह तो जुमला था । इससे लगता है कि जनता को मूर्ख समझते है।भाजपा पार्टी के सांसद चुनाव के बाद किसी भी जनमानस अगर उनके पास कोई व्यक्ति आया है तो 1 कप चाय भी नही पीला पाते, बिना मुहूर्त के शंकराचार्य जी के व्यक्तव्य को ठुकराते हुए अहंकार बस अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करना। प्रश्न करने वालों को इनके चमचे देशद्रोही गद्दार कहना। यह कारण है हारने के हम सनातनी क्या करें।अभी तो हम सनातनीयों ने चेताया है अगर अपने दिमाग से अहंकार नही निकालेंगे तो पूरे देश से ऐसे गायब हो जायेंगे जैसे गधे के सिर से सींग।हर तरफ लोग नोटा नोटा चिल्ला रहे थे। जो पांच हजार से 20000 से ज्यादातर वोट हर सीट पर नोटा को मिला। अमितशाह जी जिनकी पहुंच 1 सीट पर सीमित है ऐसी पार्टियों से गठबंधन करते रहे। इन्हे 6 साल से नोटा क्रांतिकारियों की क्या समस्या है बात करने का समय नहीं मिला। नही तो यदि नोटा समर्थकों से बात किए होते तो जो आज 10000 - 15000 वोटों से हारे है वह जीत में बदल जाती ऐसी सीटों की संख्या 100 के ऊपर होती। सीटों का घटना अहंकार वस प्रताड़ित व्यक्तियों की उपेक्षा है।इसका खामियाजा तो भुगतना ही था अब भुगतो।हर तरफ रोजगार की मारा मारी लगी हुई हैं बेरोजगारो कि कभी बात ही नही हुई। सवाल पुछने पर लाठीचार्ज करवाते हो उसका परिणाम कौन भुगतेगा और ये अंधभक्त दल्ले हैं जो हम सनातन धर्मियों को ही उपरांत बक रहे हैं कभी अपने गिरेबान मे झांककर देखे भी हैं क्या कि विकास के नाम पर लुटबाजारी चरम सीमा पर किस तरह पहुंच गई। अब अपनी करनी की ठुकरा किसी और पर फोडने से अच्छा हैं विकास पर ध्यान दो वर्ना तुम्हारा विनाश तय हैं।

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