डीएम ने बाल संरक्षक गृह का किया निरीक्षण व्यवस्था देख कर भावुक हुए

रोहतास। रोहतास,डीएम देर शाम बाल संरक्षक गृह में पहुंचे थे, उन्होंने निरीक्षण के दौरान वहां के बच्चों से खाना के बारे में पूछा की क्या मिलता है ? बच्चों ने बताया की "दाल भात चोखा मिलता है" ।फिर वहां के स्टाफों से डीएम ने कहा की "आचार और पापड़ भी दे दीजिए ना" ।तो उधर से जबाव आया की "नही है" !

उदास मन से डीएम यह कह कर अफसोस भरे शब्दों के साथ बड़बड़ाने लगे की "आचार भी नही है" , "पापड़ भी नही है"..."कुछ भी नही है" उन्होंने दुखी मन से व्यवस्था करने का निर्देश दिया  । बच्चो से मिल कर शुरू शुरू वो बहुत खुश हुए थे, लेकिन जब आचार और पापड़ नही होने और सिर्फ दाल भात चोखा खिलाने की जानकारी मिली तो वो भाउक हो गए ।

बाल संरक्षक गृह क्या होता है ?

बाल संरक्षण गृह, बच्चों को देखभाल, सुरक्षा, शिक्षा, कौशल विकास, संरक्षण, परामर्श, और पुनर्वास देने के लिए संचालित संस्थाएं होती हैं । इन संस्थाओं को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 41 के तहत चलाया जाता है । 

बाल संरक्षण गृहों में, ऐसे बच्चे रहते हैं जिनके माता-पिता या संरक्षक उनका पालन-पोषण करने में असमर्थ हैं ।इनमें अनाथ, निराश्रित, परित्यक्त, या कठिन परिस्थतियों में रहने वाले बच्चे शामिल हो सकते हैं।साथ ही, जिनके माता-पिता कारावास में हों या कैंसर से ग्रस्त हों, ऐसे बच्चों को भी बाल संरक्षण गृह में रखा जा सकता है । इन गृहों में बच्चों के लिए स्वस्थ वातावरण और घरेलू माहौल होना चाहिए।

सासाराम में बाल संरक्षक गृह का टाईम लाईन !

रोहतास जिला बनने के 50 वर्ष बाद जिले में सिर्फ 2 वर्ष पहले आब्जर्वेशन होम बना था । तत्कालीन डीएम धमेंद्र कुमार और एसपी आशीष भारती ने इसका उद्घाटन किया था । उससे पहले हमारे यहां के बच्चों को भोजपुर,गया और पटना जाने को मजबूर होना पड़ता था । यह सासाराम के अदमापुर में है ।डीएम नवीन कुमार एक सज्जन व्यक्ति हैं !

आपको बताते चलें की डीएम नवीन कुमार एक साधारण जीवनशैली जीनेवाले , समाजवादी विचार के व्यक्ति हैं । इन्हें कई मौकों पर दूसरों के इमोशंस में शामिल होते हुए देखा गया है । कोई दुख लेकर इनके पास जाता है तो ध्यान से सुनते हैं और यथासंभव निराकरण का भी प्रयास करते है।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट