हिंदी भाषी नेताओ को नही संभाला भाजपा ने तो डूब सकती है कल्याण पूर्व में भी नैया

जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास साबित हो सकता है घातक

क्यों हो रहा है उत्तर भारतीयों का भाजपा से मोहभंग

कल्याण (आर. के. सरस) ।। कहते है जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास आप को डुबो देता है ऐसा ही कुछ भाजपा के साथ भी हुआ और राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में भाजपा की नैया डूब गई अब कल्याण शहर के भाजपा नेता भी इसी रास्ते पर चल पड़े है जो कल तक हिंदी भाषी समाज को कंधे पर बैठाने की बात करते थे वह आज उसी समाज के नेताओ को मनपा में जगह देने से भी कतराते है अगर यही हालत रही रो पूर्व में भाजपा की स्थिति डामाडोल हो सकती है ।

            सत्ता में आने से पूर्व भाजपा की स्थिति कल्याण शहर के पूर्व भाग में शून्य कहा जाए तो भी इसमें कोई हर्ज नहीं है ऐसी बनी हुई थी जहां पर भाजपा का झंडा थामने वाला कोई भी नेता नहीं दिखलाई पड़ रहा था ऐसे में कल्याण पूर्व के उत्तर भारतीयों ने भाजपा की कमान संभाली और सैकड़ों की तादात में उत्तर भारतीय नेता भाजपा में सक्रिय हुए और उन्होंने भाजपा का झंडा हाथ में लेकर उसे जीत दिलाने के लिए सड़कों पर निकल पड़े उनकी मेहनत व लगन का परिणाम ही था कि वर्तमान समय में कल्याण पूर्व में भी भाजपा का जगह-जगह झंडा दिखना शुरू हो गया परंतु इनके साथ आखिरकार भाजपा ने भी वही किया जो अन्य पार्टियां करती हैं यहां के उत्तर भारतीयों को धीरे धीरे नकारना शुरू कर दिया गया कल्याण पश्चिम के विधायक नरेंद्र पवार एक समय था कि पूर्व के उत्तर भारतीय नेताओं की वाहवाही करते नहीं थकते थे और उत्तर भारतीय नेता भी उनके कंधे से कंधा मिलाकर हमेशा डटे रहते थे परंतु आज हालात इस कदर बन गए हैं कि वहीं उत्तर भारतीय नेता धीरे-धीरे उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं हाल ही में भाजपा के सक्रिय जिला सचिव प्रमोद सोनी ने भाजपा के रवैए से नाराज होकर अंततः राष्ट्रवादी का दामन थाम लिया उन्हीं की तरह ही जिला उपाध्यक्ष सुनील मिश्रा, संजय तिवारी व सानू नायडू जैसे और भी कई हिंदी भाषी नेता है जिनका अब भाजपा से धीरे-धीरे मोह भंग होना शुरु हो चुका है उनका कहना है कि भाजपा सिर्फ अपने फायदे के लिए उत्तर भारतीयों का इस्तेमाल करती हैं मनपा में एक भी ऐसा महत्वपूर्ण पद नहीं है जो कि उत्तर भारतीय नेता को दिया गया हो इतना ही नहीं हाल ही में प्रदेश स्तर में उत्तर भारतीय नेताओं को स्थान देने की बजाय किसी अन्य ही लोगों को शामिल कर लिया गया इन सब बातों से भाजपा के कार्यकर्ताओं में नाराजगी फैलनी शुरू हो गई और वह धीरे-धीरे भाजपा से कन्नी काटने लगे अगर यही हालात रहे तो आगामी चुनाव में भाजपा को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है और या भाजपा के हार का सबसे बड़ा कारण भी हो सकता है वहीं भाजपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष सुनील मिश्रा ने भाजपा के इन्ही क्रियाकलापो से तंग आकर इस्तीफा दे दिया उन्होंने सीधा सीधा कह डाला कि भाजपा में भेदभाव की राजनीति जोरों पर शुरू है भाजपा के बड़े नेता सिर्फ और सिर्फ उत्तर भारतीयों को लॉलीपॉप देकर उनका चुनाव में इस्तेमाल करते हैं और चुनाव खत्म होने के बाद उन्हें दूध में मक्खी की तरह निकाल कर बाहर फेंक दिया जाता है और फिर जैसे ही चुनाव आता है फिर वही प्रक्रिया लॉलीपॉप देने की शुरू कर दी जाती है भाजपा के इस बर्ताव से इतने आहत हो चुके हैं कि अब उन्होंने भी भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में भी उसका साथ छोड़ने का निर्णय कर लिया परंतु हाल ही के हुए चुनाव में भाजपा की शिकस्त को देख कर उन्होंने कुछ समय के लिए खुद को बैकफुट पर ले लिया है परंतु जल्दी ही कल्याण पूर्व से भाजपा को और भी झटके लग सकते हैं अब देखना यह है कि राज्य मंत्री रविंद्र चौहान व विधायक नरेंद्र पवार इसके लिए क्या कदम उठाते हैं । वही सुनील मिश्रा ने बताया कि पिछले नगरसेवकी चुनाव में यहां के उत्तरभारतीय समाज की पूनम गुप्ता के लिए टिकट की मांग की गई थी परंतु भाजपा के वरिष्ठों ने उनको टिकट ना देकर बाहर से आई महिला को टिकट दे दिया अंत तक पूनम को टिकट देने के लिए मात्र लॉलीपॉप ही देती रही जिससे नाराज होकर पूनम गुप्ता ने पार्टी का दामन छोड़ दिया और उन्होंने अपक्ष उम्मीदवार के रूप में अपना पर्चा दाखिल किया और चुनाव में 1100 के करीब वोट हासिल किया अगर यही भाजपा ने उनको टिकट दिया होता तो वे निश्चित ही जीत का परचम लहराती थी परंतु भाजपा के वरिष्ठों की इन्ही उपेक्षा का परिणाम यह निकला कि यह सीट शिवसेना के खाते में चला गया और भाजपा के सामने हाथ मलने के और कुछ नही रह गया अगर अब भी भाजपा ने नाराज हिंदी भाषी नेताओ को नही मनाया तो आगामी लोकसभा चुनाव में इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है ।

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