देश में राजनीतिक पार्टियों के रूप में सक्रिय है गुंडों का गिरोह
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- Sep 01, 2024
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न्यायालय के आदेशों का जो उड़ाते हैं खुलेआम धज्जियां, जो राष्ट्र हित में नही-अध्यक्ष
"देश के समाज सेवक बुद्धिजीवी वर्ग से आग्रह है कि ऐसे गुंडों के समूह का विरोध करें"
कैमूर- देश में राजनीतिक पार्टियों के रूप में सक्रिय है गुंडों की गिरोह जो न्यायालय के आदेशों का नही कर रहें सम्मान, न्यायालय के आदेशों व निर्देशों की भी खुलेआम उड़ा रहे धज्जियां। उक्त बातें राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह स्वतंत्र कलमकार कुमार चन्द्र भुषण तिवारी तिवारी के द्वारा, जिला के कुदरा प्रखंड स्थित राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ प्रदेश कार्यालय पर औपचारिक भेंट के दौरान कहां गया। उन्होंने कहा अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि जब कभी भी कोई राजनीतिक गुंडा अपने से बड़े राजनीतिक गुंडे के चक्कर में फसता है तो कहता है कि हमें न्यायालय पर विश्वास है हम न्यायालय के आदेशों का सम्मान करेंगे। पर जैसे ही वह कुछ आगे बढ़ता है, तो वह सत्ता में बने रहने व सत्ता प्राप्त करने हेतु न्यायालय के साथ रखैल वाली व्यवहार करता है जो की राष्ट्रहित में नहीं है। मार्च 2018 देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के प्रविधानों के तहत किसी व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा चलाने से पहले चार्जशीट में कम से कम उन शब्दों का उल्लेख वांछनीय है, जो आरोपि ने लोगों के समक्ष कहे हों। इससे अदालतें अपराध का संज्ञान लेने से पहले यह पता लगाने में सक्षम होंगी कि चार्जशीट में एससी/एसटी अधिनियम के तहत मामला बनता है अथवा नहीं, उच्चतम न्यायालय का यह फैसला कोई गलत नहीं था। यदि कोई भी किसी के ऊपर आरोप लगाता है तो पूर्ण साक्ष्य लेकर मामला दर्ज करने की आदेश कैसे गलत हुआ।पर सत्ता के मद्द में चूर हो सभी राजनीतिक पार्टियों के द्वारा अध्यादेश लाकर सर्वसम्मति से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलना क्या है गुंडागर्दी नहीं है। यहां तो एक आतंकवादी के ऊपर भी मामला दर्ज करने से पहले साक्ष्य देखा जाता है, इतना ही नहीं आरोप सिद्ध होने के बावजूद भी कुछ राजनीतिक पार्टियों के द्वारा अर्धरात्रि में न्यायालय खुलवाया जाता है। तो क्या सवर्ण समाज के लोग उन आतंकवादियों से भी बड़े अपराधी हैं, जिन्हें अपने ऊपर लगाए गये आरोप के विरुद्ध कुछ भी सफाई पेश करने का मौका नहीं दिया जाए पर मामला दर्ज कर जेल में डाल दिया जाए?
वही सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से नौकरियों में आरक्षण देने के लिए एससी-एसटी वर्ग को सब कैटेगरी में रिजर्वेशन दिए जाने की मांग का मामला लंबित चल रहा था। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक अगस्त को बड़ा फैसला सुनाया। पंजाब अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2006 और तमिलनाडु अरुंथथियार अधिनियम पर अपनी मुहर लगा दी और कोटा के अंदर कोटा (सब कैटेगरी में रिजर्वेशन) को मंजूरी दे दी, यानी उन्हीं के वर्ग के जो दबे कुचले जिन्हें की अभी तक आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिला उन्हें मिले तो इसमें क्या गलत है? पर इस संदर्भ में भी राजनीतिक गुंडों के द्वारा अपनी अपनी समुह जुटाकर जहां तहां खुलेआम गुंडागर्दी किया जा रहा है,जो की राष्ट्रहित में नहीं है। ऐसा तो हुआ नहीं कि उनकी आरक्षण किसी और वर्ग को मिल रहा है,तो इसके विरुद्ध बार बार जहां तहां आतंक क्यों मचा रहें हैं? ऐसे भी अयोग्यता व जाति आरक्षण देशहित में नहीं है। हम देश के समाज सेवक बुद्धिजीवी वर्ग से आग्रह करेंगे की ऐसे राजनीतिक पार्टियों के रूप में सक्रिय गुंडों के गिरोह का बहिष्कार करें।
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