पैक्स की सुविधाओं से किसान हैं वंचित

संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट 

दुर्गावती(कैमूर)--सरकार के द्वारा बनाए गए पैक्स के नियम किसानों के हित में  लागू करने में कहीं न कहीं से सरकार पूर्ण से सफल नहीं हो रही है जिसका नतीजा है कि संपूर्ण किसाने का फसल पैक्स के माध्यम से बिक नहीं पता है। मजबूरन किसान छोटे और बड़े व्यापारियों के चंगुल में फंस जाता है और अपनी फसल बेच देता है। यदि किसी किसान के फसल की खरीद भी होती है तो उसमें भारी मात्रा में पैक्स के अध्यक्षों द्वारा लूट खसोट की जाती है। किसानों को कभी बोडा के नाम पर तो कभी कांटा के नाम पर तो कभी नमी के नाम पर लूटा जाता है अंततः ऊब कर किसान अपनी फसल व्यापारियों को बेच देता है। ग्रामीण किसान जो पक्ष के मतदाता नही है उनकी फसल फसल पैक्स अध्यक्षों द्वारा कभी नहीं खरीदा जाता। पैक्स अध्यक्षों के द्वारा समिति में सदस्य उसी को  बनाया जाता है जिनकी फसल खरीदते हैं या जिनके विश्वास पात्र होते हैं। सदस्य बनाए जाने में जो भूमिका अध्यक्षों की होती है वह पूर्ण रूप से भेदभाव किसानों में करते दिखता है,वैसे लोग भी सदस्य हैं जो बिल्कुल किसान ही नहीं है न उनके पास अपनी कोई जमीन है। दुकानदार से लेकर अंडा बेचने वाले व्यापारी वर्ग के लोग भी समिति में सदस्य बने हुए हैं और किसान वंचित है। सरकार के द्वारा मिलने वाली सुविधा हो या किसानों का उपकरण किसानों को मिलने वाली अन्य सुविधाएं कहीं न कहीं से लगता है व्यापारियों को सेल कर दी जाती है। किसानों को मिलने वाली खाद की सुविधा बिल्कुल नहीं मिल पाती या तो पैक्स अध्यक्ष उठाव ही नहीं करता ऐसी अनोखी सुविधाओं से भी किसान वंचित रह जता है।

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