
भलुनीधाम में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- Jan 01, 2025
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रोहतास। जिले के दिनारा प्रखंड में स्थित एक प्राचीन और दिव्य धार्मिक स्थल है, जिसे मां यक्षिणी भवानी का धाम कहा जाता है। जहां नववर्ष पर मां के दर्शन एवं पिकनिक मनाने के लिए भक्तों का हूजूम उमड पड़ा।सदियों से, यह पवित्र स्थल भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यहां आकर श्रद्धालु अपनी मुरादें पूरी होने की आशा में मां यक्षिणी भवानी का दर्शन करते हैं और उनके आशीर्वाद से सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव करते हैं।
भलुनीधाम का मुख्य आकर्षण मां यक्षिणी भवानी का प्राचीन मंदिर है, जिसमें देवी की प्रतिमा का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। देवी के इस मंदिर के अलावा यहां भगवान शंकर और कुबेर की दुर्लभ मूर्तियां भी स्थापित हैं, जो इस स्थल को और भी पवित्र और महत्वपूर्ण बनाती हैं। मंदिर के सामने स्थित विशाल प्राचीन तालाब इस स्थान की ऐतिहासिक और प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ा देता है।
तालाब की शांत जलधारा में तैरती मछलियां, और किनारे बैठे बंदरों का कौतूहल, यहां की प्राकृतिक अद्वितीयता को और भी सजीव बना देता है। यह दृश्य जहां एक ओर प्राकृतिक शांति और सुकून प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर जीवन की सरलता और उसकी विविधता का प्रतिबिंब भी है।
भलुनीधाम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां का प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक प्रमुख पिकनिक स्थल के रूप में भी लोकप्रिय बना रहा है। यहां की हरी-भरी वादियों में, भक्तजन न केवल अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं, बल्कि मां यक्षिणी भवानी की पूजा-अर्चना कर अपने जीवन में शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। जंगलों के बीच बसा यह स्थान आध्यात्मिकता के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग समान है।
भलुनीधाम की एक अनोखी विशेषता यहां निवास करने वाले बंदरों का बड़ा समूह है, जो सदियों से इस क्षेत्र का हिस्सा हैं। ये बंदर न तो गांवों में जाकर कोई नुकसान पहुंचाते हैं और न ही किसी को परेशान करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल मां यक्षिणी भवानी को प्रसाद चढ़ाते हैं, बल्कि इन बंदरों को भी फल-फूल और अनाज का दान करते हैं। यह यहां की परंपरा और आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मंदिर के आस-पास के जंगलों में आज भी प्राकृतिक सुंदरता और विरासत की झलक देखी जा सकती है। जंगलों के बीच स्थित अन्य धार्मिक स्थलों जैसे काली खोह का मंदिर, राधा-कृष्ण, साईं बाबा और बाबा गणिनाथ के पवित्र स्थल, इस धार्मिक यात्रा को और भी खास बनाते हैं। यहां आकर भक्तजन आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ प्रकृति की गोद में बैठकर जीवन की नई ऊर्जा को महसूस करते हैं।
हर साल नए साल की शुरुआत में यहां भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है। श्रद्धालु मां यक्षिणी भवानी के दर्शन कर पूजा-अर्चना करते हैं और फिर जंगलों के बीच पिकनिक का आनंद लेते हैं। यहां का वातावरण, हरियाली और ताजगी से भरपूर हवा जीवन को एक नई दिशा देती है। भलुनीधाम की पवित्रता और प्राकृतिक सौंदर्य का यह संगम इसे न केवल धार्मिक स्थल बनाता है, बल्कि एक पर्यटक स्थल के रूप में भी पहचान दिलाता है।
कैसे पहुंचे
•रेलमार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन बिक्रमगंज है, जहां से सासाराम, आरा और पटना के रास्ते से भलुनीधाम पहुंचा जा सकता है।
•सड़क मार्ग: सासाराम, मोहनियां, बक्सर से 52 किमी और बिक्रमगंज से 16 किमी दूर स्थित है।
•हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डे पटना और बनारस हैं, जहां से सड़क मार्ग द्वारा भलुनीधाम तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
इस नए साल में, भलुनीधाम की पवित्र भूमि पर मां यक्षिणी भवानी का आशीर्वाद प्राप्त करें और इस प्राकृतिक स्थल के सौंदर्य का आनंद उठाएं। भलुनीधाम की यात्रा आपके जीवन को न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करेगी, बल्कि प्रकृति के साथ एक अनोखा अनुभव भी देगी।
भलुनीधाम का मुख्य आकर्षण मां यक्षिणी भवानी का प्राचीन मंदिर है, जिसमें देवी की प्रतिमा का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। देवी के इस मंदिर के अलावा यहां भगवान शंकर और कुबेर की दुर्लभ मूर्तियां भी स्थापित हैं, जो इस स्थल को और भी पवित्र और महत्वपूर्ण बनाती हैं। मंदिर के सामने स्थित विशाल प्राचीन तालाब इस स्थान की ऐतिहासिक और प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ा देता है।
तालाब की शांत जलधारा में तैरती मछलियां, और किनारे बैठे बंदरों का कौतूहल, यहां की प्राकृतिक अद्वितीयता को और भी सजीव बना देता है। यह दृश्य जहां एक ओर प्राकृतिक शांति और सुकून प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर जीवन की सरलता और उसकी विविधता का प्रतिबिंब भी है।
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