समाज में बढ़ते नफरत,दूरियां, धर्म के प्रति ईर्ष्या के लिए जिम्मेदार है राजनेता
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Jan 11, 2025
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की लेखनी से
कैमूर - आज समाज में जो दूरियां लोगों के प्रति बढ़ती जा रही है और धर्म के प्रति अरुचि का जो दौर चल रहा है उसके जिम्मेवार कौन है। देवी देवताओं के विरुद्ध टिप्पणी धार्मिक ग्रंथो को जलाना धार्मिक टीका टिप्पणी यह किसकी देन है। माता-पिता भाई बंधु से प्रेम एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होने की जो परंपरा आज समाप्त होती दिखाई दे रही है उसके जनक कौन है। जिन नेताओं को अध्यात्म की जानकारी शून्य है, जो अध्यात्म की व्युत्पत्ति और व्याकरण के द्वारा अर्थ ही नहीं बता सकते को वे भी आज धर्म पर टीका टिप्पणी करते दिखाई दे रहे है। कोई शंकर को तो कोई भगवान राम को तो कोई कृष्ण को अपना वंशज का बता रहा है। लेकिन कोई भी राजनेता यह नहीं कहता कि मैं रावण का हिरण कश्यप का जलंधर का बाडासुर और लवड़ासुर का वंशज हूं। काम कर रहे हैं निसार जाति के वंशज की और बता कर रहे हैं देवताओं के वंशज। यही देश था जब दरवाजे में ताले नहीं लगते थे, लोगों के सुख-दुख में समान रूप से शामिल होते थे लेकिन इन सभी जाति और धर्म समुदाय के लोगो के राजनेताओं के नए-नए नफरत के भाषण और बनाए गए कानून ने सारे समाज के सुकून को छीन लिया। आज प्रेम की जगह लोग एक दूसरे से नफरत करते हुए देखे जा सकते हैं, आज माता-पिता के प्रति धार्मिक रुचि की जगह अधार्मिक रवैया अपना रहे हैं ऐसा देखने को मिल रहा है। विद्यालयों में धार्मिक ग्रंथो की जगह, संस्कारी शिक्षा की जगह, अनुशासन की जगह नये फार्मूले से शिक्षा दीक्षा का काम चल रहा है। जिसका परिणाम है कि आज का युवा आज का समाज दिशाहीन होता जा रहा है जिसका परिणाम है कि माता-पिता के प्रति न कोई जवाब दे ही है न देश के प्रति कोई वफादारी। इस बदलते परिवेश का जिम्मेवार कौन है। बाबा साहब अंबेडकर की आड़ में समाज को तोड़ने वाले कानून, तेज और काबिल बच्चों को जलील करने वाला कानून का सहारा लेकर देश में हुकूमत कौन कर रहा है। यदि आने वाला समय ऐसे ही राजनीतिक गतिविधियों से चलते रहा तो आने वाले भविष्य में देश की स्थिति और भी बद से बदतर हो जाएगी


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