
मछली ने ली बेटी की जान
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- Jun 01, 2025
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रोहतास।ना दहेज, ना प्रेम... सिर्फ एक मछली ने बेटी की ली जान।रोहतास में जब पिता बना राक्षस -बेटी की साँसें उसके ही घर में घुट गईं।
बिहार के रोहतास ज़िले के विक्रमगंज थाना क्षेत्र में एक ऐसी घटना घटी, जिसने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया। बलचंदवा टोला का एक घर, जो एक सामान्य दिन में एक पारिवारिक मिलन का स्थल था, अचानक चीखों, मारपीट और अंततः मौत की गवाही देने वाला स्थान बन गया।
राम भजु सिंह नामक व्यक्ति ने अपनी 17 वर्षीय सौतेली बेटी ज्योति कुमारी को सिर्फ इसलिए पीट-पीट कर मार डाला क्योंकि उसने अपने पिता और मामा को मछली परोसने के बाद खुद उसे नहीं खाया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, घर में आए रिश्तेदार मामा के स्वागत में मछली पकाई गई थी। ज्योति ने मेहमानों को खाना परोसने के बाद खुद मछली नहीं खाई और चाची के कमरे में चली गई। इसी बात से नाराज़ पिता ने उसे बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।
मारपीट के दौरान ड्रेसिंग टेबल का शीशा टूट गया, जिससे राम भजु भी जख्मी हो गया। गुस्से में उसने न केवल बेटी को पीटना जारी रखा, बल्कि जो भी बीच-बचाव करने आया, उस पर भी हमला करने लगा। घर का सामान तहस-नहस कर दिया गया।
जब बेटी को कमरे से घसीटते हुए बाहर निकाला, तो उसी के दुपट्टे से गला दबाने की कोशिश की गई। मां रिंकू देवी ने जब उसे बचाना चाहा, तो राम भजु ने उन पर भी हमला कर दिया। अपनी जान बचाकर वे पड़ोसियों के घर भागीं, पर वह वहां भी पहुंच गया। शोरगुल सुनकर लोग इकट्ठा हुए और आरोपी मौके से फरार हो गया।
ज्योति राम भजु की सौतेली बेटी थी। दरअसल, राम भजु ने अपने बड़े भाई की मौत के बाद उनकी पत्नी रिंकू देवी से विवाह किया था। रिंकू देवी के पहले पति से दो बेटियां और एक बेटा था, जिनमें से ज्योति सबसे बड़ी थी। राम भजु का भी एक बेटा है।
मृतका की मां ने अपने पति पर बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करवाई है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है। थानाध्यक्ष ललन कुमार के अनुसार, आरोपी अब भी फरार है।
क्या एक बेटी की जान इतनी सस्ती हो गई है कि वह पिता के गुस्से की भेंट चढ़ जाए? क्या हमारा समाज अब भी सौतेले रिश्तों को नफरत की दीवार से देखता है? और सबसे अहम, ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों होती हैं, जहाँ घरेलू हिंसा और पितृसत्ता बेटियों की सांसें छीन लेती हैं?
पुलिस की जांच जारी है, लेकिन सवाल ये है कि क्या ज्योति को न्याय मिलेगा? या यह मामला भी भारत के उन हजारों 'घरेलू हत्याओं' की लिस्ट में शामिल होकर खो जाएगा?
एक बेटी का सपना, एक परिवार की हिंसा में टूट गया। सवाल अब हम सब से है—कब रुकेगा ये सिलसिला?
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