बिजली विभाग की लापरवाही ने फिर युवक ले ली जान


रोहतास ज़िले के चुटिया थाना क्षेत्र अंतर्गत परछा गांव में मंगलवार सुबह एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। 22 वर्षीय मुकेश कुमार मेहता की जान उस वक्त चली गई जब वह अपने ही घर की छत पर मरम्मत कर रहा था और लोहे का पाइप अनजाने में ऊपर से गुजर रहे हाईवोल्टेज तार से छू गया।


मुकेश झुलस गया—उसकी साँसें वहीं थम गईं। डॉक्टरों ने अस्पताल पहुंचते ही उसे मृत घोषित कर दिया। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। इस दर्दनाक घटना ने पूरे परिवार को शोक में डुबो दिया है।


"खतरनाक तार हटाइए"—मांग वर्षों पुरानी, कार्रवाई शून्य


परिजनों का कहना है कि इस हादसे का कारण सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही की लंबी श्रृंखला है। कई महीनों से वे उस हाईवोल्टेज तार को हटाने की मांग कर रहे थे जो उनके घर की छत के एकदम ऊपर से गुजरता है। उन्होंने लिखित आवेदन दिए, विभागीय टीम ने मौके का निरीक्षण भी किया और आश्वासन दिया कि तार एक सप्ताह में हटा दिया जाएगा। लेकिन वह दिन कभी नहीं आया। और अब, उस अनदेखी की कीमत एक ज़िंदग़ी से चुकानी पड़ी।

यह पहला हादसा नहीं था। 5 मई को इसी घर में मुकेश के फूफा, लल्लू महतो, की भी इसी तार की चपेट में आने से मौत हो चुकी है। उस समय भी परिवार ने बिजली विभाग को चेताया था। लेकिन उनकी चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया गया। आज वही अनदेखी फिर से दोहराई गई—इस बार एक युवा की मौत के साथ।


घटना की सूचना मिलते ही चुटिया थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सासाराम भेजा गया। परिजनों के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच जारी है।


लेकिन बड़ा सवाल यह है—जब एक मौत पहले ही हो चुकी थी, तब विभाग ने समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की? आखिर कितनी जानें जाएंगी तब जाकर बिजली विभाग जागेगा?


मुकेश अब इस दुनिया में नहीं है। एक होनहार बेटा, एक उज्ज्वल भविष्य और एक पूरे परिवार की उम्मीद—सब कुछ इस लापरवाही की भेंट चढ़ गया। यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, सिस्टम की असफलता है। और जब तक ऐसे मामलों में ठोस कार्रवाई नहीं होगी, तब तक 'दुर्घटनाएं' घटती रहेंगी।

रिपोर्टर

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