वोटर लिस्ट से नाम गायब होने पर व्यक्ति में आक्रोश, गौर गांव के हरि यादव ने उठाई निष्पक्ष मतदान पर सवाल
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Nov 09, 2025
- 119 views
अनुमंडल संवाददाता सिगासन सिंह यादव की रिपोर्ट
भभुआं(कैमूर)-- अनुमंडल के भगवानपुर प्रखंड के पहाड़ियां पंचायत अंतर्गत गौरा गांव में लोकतंत्र के इस महापर्व यानी बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। गांव के निवासी हरि यादव, पिता स्वर्गीय रामबचन यादव, का नाम अचानक मतदाता सूची (वोटर लिस्ट) से हटा दिया गया है। इस बात की जानकारी उन्हें तब हुई जब गांव के अन्य लोगों को मतदान पर्ची (वोट स्लिप) मिली, लेकिन उन्हें नहीं मिली।
हरि यादव ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि जब उन्होंने इस बारे में अपने बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) मनीष कुमार से पूछताछ की, तो उन्हें बताया गया कि उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया है। हरि यादव के अनुसार, उन्हें इस संबंध में न तो कोई सूचना दी गई और न ही नाम जोड़ने का अवसर मिला। निराश होकर वे मतदान केंद्र से लौट आए।
इस पूरे मामले को जानने के लिए संवाददाता ने गौर गांव के BLO मनीष कुमार से संपर्क साधने की कोशिश की। चार बार फोन करने के बावजूद उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद संवाददाता ने भगवानपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) अंकिता शेखर से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि “नाम जोड़ने का एक अवसर पहले दिया गया था। यदि उन्होंने उस समय फॉर्म नहीं भरा होगा, तो नाम स्वाभाविक रूप से कट गया होगा।” इतना कहने के बाद उन्होंने फोन काट दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर नाम जोड़ने की प्रक्रिया की जानकारी समय पर दी जाती, तो कोई भी व्यक्ति मतदान के अधिकार से वंचित नहीं होता। हरि यादव ने कहा कि “हमारे गांव के सभी लोगों को पर्ची मिल गई, लेकिन मुझे नहीं मिली। जब मैंने पूछा तो कहा गया कि नाम कट गया है। यह मेरे साथ अन्याय है। मुझे मेरा वोट देने का अधिकार छीना गया है।”
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। कई बार लोगों के नाम बिना उचित कारण वोटर लिस्ट से हटा दिए जाते हैं, जिससे लोकतंत्र की नींव कमजोर होती है।
एक तरफ जहां विपक्षी दल चुनावी प्रक्रिया में एसएआर (स्पेशल समरी रिविजन) को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं, वहीं इस तरह के मामलों से चुनावी तंत्र की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
गांव के अन्य निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की जांच की जाए और जिन लोगों के नाम अनुचित तरीके से काटे गए हैं, उन्हें पुनः वोटर लिस्ट में शामिल किया जाए।
लोकतंत्र में मतदान नागरिक का सबसे बड़ा अधिकार है। अगर किसी नागरिक का नाम बिना सूचना और बिना गलती के वोटर लिस्ट से हटा दिया जाए, तो यह न केवल व्यक्ति के अधिकार का हनन है, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी एक गहरा प्रश्नचिह्न है।


रिपोर्टर