सदर हॉस्पिटल बना घूसखोरो का अड्डा

जौनपुर ।। जिले में स्थित अमर शहीद उमानाथ सिंह स्वास्थ्य केंद्र (सदर) में भर्ती हुए मरीज व तीमारदारों को बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है जबकि भारत सरकार मरीजों और तीमारदारों के सुविधा के लिए प्रतिदिन 20 लाख रुपए खर्च करती है लेकिन उसका फायदा वहां के कर्मचारी लोग ले रहे हैं। सदर अस्पताल में जो भी तीमारदार अपने मरीज को लेकर जाता है वहां पर उसका सिर्फ शोषण किया जाता है। यही नहीं शाम 4:00 बजते ही आरो फिल्टर का पानी बंद कर दिया जाता है। बाहर से जितना बोतल की पानी बिकती है उतना एक कमिशन वहां की कर्मचारियों को मिलता है। शाम होते ही वहां भर्ती हुए मरीज एवं तीमारदार पानी की बूंद के लिए तरस जाते हैं और दवा भी  बाहर से ही मंगवाते हैं  भारत सरकार ने दवाइयों का इतना भर मार कर रखा है  फिर भी  यहां के डॉक्टर  बाहर से ही मँगवाते है। विरोध करने पर कहते हैं कि  अगर इलाज करवाना हो तो करवाइए वरना जाइए ।पुरुष एवं महिला अस्पताल से लेकर सारे पानी की सप्लाई बंद कर दी जाती है। बताया जाता है कि उस सात लाख का आरो फिल्टर मशीन लाया गया है लेकिन अभी तक चालू नहीं किया गया। महिला अस्पताल में बच्चों रखने के लिए उत्तम एनआईसीयू तथा आईसीयू की व्यवस्था है फिर भी वहां के कर्मचारी प्राइवेट बाल चिकित्सालय में भर्ती करवाने के लिए भेज देते हैं। प्रतिदिन चार या पांच ऑक्सीजन गैस सिलेंडर आते हैं वह भी ब्लैक में वहां के कर्मचारी बेच देते हैं। वहीं दूसरी तरफ ओम साईं बाल चिकित्सालय में देखा गया कि तीमारदार अपने बच्चे को देखने आए वहां के असिस्टेंट ने बत्तमीजी के साथ कहा कि हम बच्चे को नहीं दिखाएंगे तुम हमारा क्या कर लोगे? इसका मतलब यह है कि प्राइवेट बाल चिकित्सालय ओम साईं के डॉक्टर अभिषेक मिश्रा के अस्पताल में सीधा सीधा गुंडागर्दी का फंडा अपनाया गया है। जिससे तीमारदार बहुत परेशान रहती हैं और सदर हॉस्पिटल के कर्मचारी कमीशन के लिए बच्चों को प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजते हैं। यहां तक कि लोग भोजन करने के लिए ढाबे पर जाते हैं वहां से भी कमीशन सदर के कर्मचारियों को भी मिलती है। यदि सदर हॉस्पिटल में सभी कर्मचारी इमानदारी से कार्य करने लगे तो मरीज और तीमारदारो को प्राइवेट हॉस्पिटल में जाने की जरूरत ही ना रहे। भारत सरकार ने स्वास्थ्य के प्रति बहुत बड़ी अभियान चला रखी है लेकिन जिले स्तर तक पहुंचते-पहुंचते उसका हनन होने लगता है। यह सब देखते हुए भी शासन-प्रशासन चुप्पी साधे के बैठी है। इस पर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है और  ये लोग यह भी जानते हैं कि भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर है।

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