क्षेत्रीय स्तर के खानपान के चलन को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य की डगर बनाई जाएगी : डीपीओ

- राष्ट्रीय पोषण माह के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषण क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों का हो रहा आयोजन

- प्रभात फेरी, जागरूकता रैली व पोस्टर-बैनर कर माध्यम से लोगों को दी जा रही है पोषण की जानकारी

आरा (भोजपुर) ।। जिले में राष्ट्रीय पोषण माह के तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिनकी पूरी जिम्मेदारी आंगनबाड़ी केन्द्रों की सेविका-सहायिका व पर्यवेक्षिकाओं के कंधों पर ही है। इस क्रम में आईसीडीएस की डीपीओ व सीडीपीओ की निगरानी में जिले में एक से 15 सितम्बर तक आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषक क्षेत्र के 0-6 वर्ष के बच्चों का वजन, ऊंचाई और लंबाई लेकर पोषण की जानकारी ली जाएगी। साथ ही, इसकी इंट्री पोषण ट्रैकर व पोषण अभियान डैशबोर्ड पर की जाएगी। वहीं 1-30 सितम्बर तक पोषण परामर्श डेस्क की स्थापना की जाएगी। अभियान के तहत जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषण क्षेत्र में रैली, प्रभात फेरी व बैनर पोस्टर के माध्यम से लाभुकों व आमजनों को जागरूक किया जा रहा है। 

कुपोषित बच्चों की संख्या कम करने के लिए किया जा रहा है प्रसार :

जिला प्रोग्राम पदाधिकारी माला कुमारी ने बताया, पोषण माह में इस बार की थीम "कुपोषण छोड़, पोषण की ओर, थामे क्षेत्रीय भोजन की डोर" निर्धारित की गई है। इसका अर्थ यह कि क्षेत्रीय स्तर पर जिस तरह के खानपान का चलन है, उसे बढ़ावा देकर स्वास्थ्य की डगर बनाई जाएगी। कुपोषित बच्चों की संख्या कम करने तथा कुपोषित को सुपोषित में तब्दील करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया, इस अभियान में बच्चों, गर्भवती महिलाओं व स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भोजन के सही तरीके से पकाने व खाने के बारे में जानकारी दी जाएगी। कुपोषण के खिलाफ अभियान में सभी की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी तथा कोविड-19 के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए इन गतिविधियों को चलाया जाएगा।

कुपोषित बच्चों की पहचान और फिर स्वास्थ्य सुधार :

राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक पीयूष पराग यादव ने बताया, पोषण माह में गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उनके स्वास्थ्य सुधार के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इसके अतिरिक्त रसोई व न्यूट्रीशन गार्डेन विकसित कराने का अभियान चलेगा। जहां खाली जमीन नहीं होगी, वहा गमलों में पौधे लगवाए जाएंगे। राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला परियोजना सहायक नेकी आलम ने बताया, ये सभी अभियान सीधे तौर पर शिशुओं, बच्चों व लाभार्थी महिलाओं को सेहतमंद बनाने में सहयोग करेंगे। कोरोना काल में अभियान का विशेष महत्व का होगा। बच्चों में कुपोषण दूर करना मौजूदा समय में सबसे बड़ी प्राथमिकता है। कुपोषित बच्चे किसी समाज के लिए सही नहीं है। इसी वजह से कुपोषण दूर करने पर पूरा जोर दिया जा रहा है।

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