अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं कल्याण के उत्तर भारतीय नेतागण

कल्याण - महानगरपालिका के आम चुनाव नज़दीक आते देख कल्याण के उत्तरभारतीय नेतागण अब खुलकर अपने दिल की बात सामने रखने लगे हैं।  हाल ही में हिंदी भाषी जनता परिषद के एक कार्यक्रम में इसकी झलक देखने को मिली थी।  जिसमें हिन्दीभाषी जनता परिषद के अध्यक्ष विश्वनाथ दुबे ने कहा था कि चुनाव आने पर सभी राजनीतिक पार्टियां उत्तर भारतियों को सिर्फ इस्तेमाल करतीं हैं।  बाद में हमें टिकिट की भीख मांगनी पड़ती है। 

इसके बाद अब कल्याण पूर्व में भी उत्तर भारतीय अपनी आवाज़ उठाना शुरू कर दिए हैं।  दरअसल पैनल पद्धति से मनपा चुनावों की घोषणा के बाद कल्याण के कई उत्तर भारतियों ने पैनल में अपनी जगह बनने के ख्वाब देखने शुरू कर दिए थे और उसी स्तर पर काम भी करनी शुरू कर दिया था।  मगर कुछ लोगों के दल बदलने से उत्तर भारतियों को लगने लगा है कि इस बार भी उनको सिर्फ और सिर्फ झुनझुना ही मिलने वाला है।  दरअसल कल्याण पूर्व के एक पैनल में मुकेश झा नामक उत्तर भारतीय ने काफी मेहनत कर रहे है और उन्हें लगने लगा था कि इस पैनल से उनको टिकिट मिल सकती है।  मगर अचानक दलबदलने में माहिर  तीसरी बार पार्टी बदलते हुए शिवसेना में प्रवेश कर लिया।  जिसके चलते उत्तर भारतियों में असुरक्षा की भावना पनपने लगी है।


बतादें कि कल्याण पूर्व में उत्तरभारतीयों की संख्या अधिक होने के चलते इसे मिनी उत्तर भारत भी कहा जाता है और किसी समय में यहां से अच्छी संख्या में उत्तर भारतीय चुनाव जीत कर भी आते थे।  मगर समय के बदलाव ने सबकुछ बदल दिया।  अब हालात यह है कि कल्याण डोम्बिवली मनपा का कार्यकाल समाप्त होने तक कल्याण पूर्व से सिर्फ मनोज राय ही उत्तर भारतीय नगरसेवक के रूप में सामने दिखते थे। अब फिर से मनपा चुनावों की डुगडुगी बजते देख उत्तर भारतियों ने अपने अस्तित्व की जंग लड़ने की तैयारी शुरू की है और सभी दलों को अपने होने का एहसास दिलवाना भी शुरू कर दिया है। स्थानिक लोगों का कहना है कि इस बार उत्तरभारतीय एक्टिव मोड में नजर आरहे है अगर यहाँ उत्तरभारतीय प्रत्यासी खड़ा होगा तो उसका जितना लगभग तय माना जा रहा है।

रिपोर्टर

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