
सरकारी खेती घाटे का सौदा तो किसानों की खेती लाभकारी कैसे? बोले पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- Nov 11, 2022
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राजीव कुमार पाण्डेय
रामगढ़, कैमूर ।। शुक्रवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि कार्यालय द्वारा रबी महाभियान 2022 प्रखंड स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।मुख्य अतिथि पूर्व कृषि मंत्री सह रामगढ़ विधायक सुधाकर सिंह मुख्य अतिथि के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।साथ मे रामगढ़ प्रखंड कृषि पदाधिकारी मृत्युंजय सिंह,जिला अध्यक्ष प्रतिनिधि विनीत सिंह उर्फ बंटी सिंह,उद्यान प्रखंड पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार चौबे,रामगढ़ प्रखंड प्रमुख के साथ अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।वहीं कार्यक्रम की शुरुआत मे संबोधित करते हुए प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कृषि संबंधित सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के बारे मे बताया गया।वहीं अपने संबोधन मे पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि देश में सबसे बड़ी समस्या किसानी है।हमारे राज्य के किसान भी सबसे बड़ी समस्या के रूप में परिमार्जन दाखिल खारिज में जो भ्रष्टाचार है उसे ही सबसे बड़ी समस्या समझते हैं जो सबसे बड़ी समस्या है उसको नजरअंदाज करते रहते हैं जबकि सबसे बड़ी समस्या किसानों की खेती ,उसकी उत्पादन ,उत्पादकता ,बाजार तक पहुंच और उस बाजार में पहुंचकर मिलने वाला लाभकारी मूल्य है। संसद से लेकर सड़क तक कोई भी किसान की बात नहीं करना चाहता और मै जब करता हूं तो कुछ लोगों को सांप सूंघ जाता है।उन्होंने आगे कहा कि मैंने कृषि मंत्री के तौर पर देखा और पाया कि 100 रुपए लागत की खेती में 2 से तीन रुपए सरकार का योगदान है।किसानों द्वारा लगाया गया 97रुपए बचे कैसे इसकी जिम्मेदारी भी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को लेनी चाहिए।आगे कृषि रोड मैप पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि दिखता नहीं केवल रोड मैप दिखता है।इसकी उपयोगिता बताते हुए उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा उत्पादित अनाज सामग्रियां दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में कैसे पहुंचे इसके लिए इस रोड मैप में चिंता की गई है इसमें यह कहीं नहीं लिखा गया है कि दिल्ली-मुंबई में पैदा हुआ संसाधन गांव तक कैसे पहुंचेगा।उन्होंने आगे कैमूर जिला के कृषि विभाग के कर्मियों अधिकारियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि मैं जब कृषि मंत्री बना तो पिछले पांच वर्षों तक का जिले मे स्थित छः फार्मों की स्थिति का आंकड़ा मांगा लेकिन जबाब आश्चर्य जनक आया पिछले पांच वर्षों मे लागत 35करोड़ और आमदनी 17करोड़।राज्य के कृषि अधिकारी कृषि का लाभ बता रहे हैं और स्वयं सरकार की जमीन पर खेती करते हैं तो इन्हें घाटा होता है।यही बिहार सरकार के कृषि अधिकारियों का मॉडल है।नाम लिए बिना ही मंत्री पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि वरिष्ठ मंत्री जी कहते हैं कि विधायक बने 2वर्ष भी नही हुआ अल्लड़ बल्लड़ बोलता हूं तो मंत्री जी मैने अल्लड बल्लड़ नही बोला मैंने तो नसबंदी की हुई बीज से बांझ बनाने वाली खेती का विरोध किया।मैंने तो जीएम सीड्स बोला।अगर मेरा ऐसा कहना अल्लड़ बल्लड़ लग रहा है तो मुझे विश्वास हो गया है कि आप किसानों का भला कभी कर ही नही सकते।
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