भक्ति में विभोर व्रतधारीयों द्वारा खरना के अवसर पर श्रद्धा पूर्वक डूबते सूर्य को दिया गया अर्घ्य

सुरक्षा की दृष्टिकोण से जगह-जगह शासन प्रशासन दिखा मुस्तैद

जिला संवाददाता कुमार चन्द्र भुषण तिवारी की रिपोर्ट

कैमूर ।। छठ पूजा के अवसर पर भक्ति में विभोर व्रतधारीयों  द्वारा खरना के अवसर पर जिला के शहर गांव मोहल्ला से जलाशय एवं नदी तटों पर पहुंच श्रद्धा भक्ति पूर्वक डूबते सूर्य को दिया गया अर्घ्य। आपको बताते चलें कि छठ पूजा सनातन धर्म के व्रत त्योहार में एक है। जिस व्रत त्योहार में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से प्रारंभ कर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हुए समापन किया जाता है। इस व्रत को करने का बहुत ही कठिन नियम है साफ सफाई से लेकर साफ मानसिकता रखकर इस व्रत को किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार छठ महा पर्व की व्रत एवं पूजा से संतान की प्राप्ति संतान की कुशलता सुख समृद्धि व लंबी आयु प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग में 14 वर्ष वनवास के बाद जब भगवान श्री राम अयोध्या लौटे तो रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए, ऋषि मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया। मुग्दल ऋषि ने मां सीता को गंगाजल छिड़क कर पवित्र किया, एवं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को सूर्य की उपासना करने का आदेश दिया। इसके बाद मां सीता द्वारा 6 दिनों तक सूर्य देव भगवान की पूजा अर्चना किया गया। पुराणों के अनुसार प्रियवत नामक राजा की कोई संतान नहीं था, इसके लिए उनके द्वारा हर जतन किया गया लेकिन कोई भी फायदा नहीं हुआ, अंततः राजा द्वारा आत्महत्या करने तक की ठान लिया गया। तभी सपने में षष्ठी देवी प्रकट हुई और राजा को सूर्य उपासना के लिए कहीं। राजा द्वारा सूर्य का उपासना करते हुए छठ पूजा किया गया। परिणाम स्वरुप संतान की प्राप्ति हुई, इसके बाद राजा द्वारा अपने राज्य में यह पर्व मनाने की घोषणा तक कर दिया गया। वही द्वापर युग में इस पर्व को सर्वप्रथम सूर्यपुत्र कर्ण के द्वारा सूर्य की उपासना कर प्रारंभ किया गया था। महाभारत काल से जुड़ा हुआ एक और कथा प्रचलित है, जिसमें द्रौपदी सहित पांडवों ने अपना खोया मान सम्मान राजपाट को वापस पाने के लिए सूर्य उपासना कर छठ पूजा किया था। परिणाम स्वरूप उन्हें भी अपना खोया हुआ राजपाट वापस मिला। यदि कलयुग में कहा जाए तो ऐसी कथा प्रचलित है, की एक कुष्ठ रोगी जो कि कुष्ठ रोग से असहनीय पीड़ित था, जिसके द्वारा औरंगाबाद के देव में इस व्रत त्यौहार को श्रद्धा पूर्वक किया गया,परिणाम स्वरुप उसका कुष्ठ रोग सही हो गया। जिसके बाद से देश के बिहार झारखंड व उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में भी बड़े ही श्रद्धा भक्ति पूर्वक धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार विगत 17 नवंबर दिन शुक्रवार को नहाय खाय से प्रारंभ है, 18 नवंबर दिन शनिवार को खरना के अवसर पर जिला के शहर गांव मोहल्ले से व्रतधारीयों द्वारा जलाशय एवं नदी तटों पर पहुंचकर स्नान कर डूबते सूर्य को बड़े ही श्रद्धा पूर्वक अर्घ्य दिया गया। जिला प्रशासन द्वारा लगातार छठ घाटों का निरीक्षण किया गया था वहीं जगह-जगह  जलाशय एवं नदी तटों पर प्रशासन मुस्तैद दिखा। आज व्रत धारीयों द्वारा शाम को पुनः डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, साथ ही श्रद्धा भक्ति पूर्वक पूरी रात पूजा अर्चना किया जाएगा, वही सोमवार को सुबह उगते सूर्य की पूजा अर्चना करते हुए, अर्घ्य देने के उपरांत व्रत का समापन किया जाएगा।

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