
अमृत भारत महोत्सव अंतर्गत रेलवे स्टेशन का कायाकल्प
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- Jan 04, 2024
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25% की लागत के अनुरूप स्वप्न को पूरी करने हेतु कार्य जारी
वार्ड से संसद तक के जनप्रतिनिधि मौन, अधिकारी शायद नींद में सोए हैं तो जिम्मेवार है कौन?
जिला संवाददाता कुमार चन्द्र भूषण तिवारी
कैमूर ।। भारत सरकार के अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 24470 करोड रुपए से अधिक की राशि खर्च करने की योजना की आधारशिला के बावजूद भी, स्टेशनों का कायाकल्प कार्य के निर्माण प्रक्रिया देखने से प्रतीत होता है कि यह एक कोरी सपना है। लोगों से मिली शिकायत पर पहुंचने के बाद जिला अंतर्गत कुदरा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक एक -दो के मध्य चल रहे निर्माणकार्य में सभी जगह पर ईंट चार नंबर का, तो जुड़ाई में प्रयोग होने वाले वस्तु भी कोई विशेष मार्क का देखने को नहीं मिला। यदि किसी भवन का निर्माण कमजोर होता है, तो अक्सर यह देखने को मिलता है की थोड़ी सी भी कंपन पर मलबे की ढेर में तब्दील होने में देर नहीं लगता। जबकि देखा जाए तो यहां 24 घंटे गाड़ियों का आवागमन है, जिससे कि तेज कंपन होता है। तो क्या इसे एक कोरी सपना कहने के साथ ही लोगों को मौत के मुंह में जानबूझकर धकेलना कहा जाए तो गलत है। सरकारी योजनाओं में ऐसा किसी एक जगह की नहीं अधिकांश जगहों में देखने को मिलता है। विगत वर्षों में स्थानीय लोगों के साथ ही वार्ड से संसद तक के जनप्रतिनिधि व तथा कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा, स्टेशन के विकास व लोगों की सुविधाओं हेतु मांग किया जा रहा था। भारत सरकार द्वारा अमृत महोत्सव योजना अंतर्गत सुविधा विकास हेतु 6 अगस्त को कुदरा स्टेशन के पुनर्विकास हेतु 18 करोड़ 86 लाख की राशि घोषणा किया गया, वर्तमान समय में कार्य प्रारंभ है। यदि स्थल पर देखा जाए तो कार्य 25 प्रतिशत की लागत के तहत तैयार करने की योजना दिख रही है, जो कि कभी भी धराशाई हो मलबे की ढेर में तब्दील हो जाएगा। आखिर पूर्व समय में सुविधाओं की मांग करने वाले जनप्रतिनिधि क्यों मौन है। संदर्भ में स्थानीय प्रखंड भाजपा अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह के द्वारा कहा गया, की यह जो भी कार्य हो रहा है सरासर गलत है, सरकार द्वारा जो योजना की राशि घोषित की गई है योजना की जो प्रक्रिया है उस के तहत कार्य नहीं हो रहा है। उनके द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही अधिकारियों से भी गुहार लगाया गया, कि यथा शीघ्र संज्ञान में लेते हुए कार्य को उचित पैमाने के साथ कराया जाए। पर सच में देखा जाए तो जितने दिनों से कार्य लगा है अनेकों अधिकारी पदाधिकारी यहां से आते जाते हैं, पर लगता है कि नींद में सोए हुए आते जाते हैं, आखिर इसका जिम्मेवार कौन है? इस विषय में यह एक प्रश्न जन्म ले लिया है कहीं विचार करें ऐसे जन प्रतिनिधियों को चुनकर आप तो नहीं।
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