
बूंदाबादी कड़ाके के ठंड से बिलबिला उठे शिक्षक और बच्चे
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- Jan 05, 2024
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कुमार चन्द्र भूषण तिवारी
दुर्गावती (कैमूर) ।। लगातार एक सप्ताह से आकाश में छाए हुए बादल सूर्य की रोशनी को धरती पर आने नहीं दे रहे हैं वही हिमालय की तराई से चलने वाली बर्फीली हवाओ से पशु पक्षी से लेकर आम जनता की मुश्किलें बढ गई है। किसानों की हालत तो बद्तर है ही पशु पक्षी भी बेहाल है। किसी किसान की धान की फसल कट नहीं पाई तो किसी का धान खलिहान में ही फंस गया। जिन किसानों की खेतों में गेहूं की बुवाई नहीं हुई थी वैसे किसन भी आज बेबस और लाचार दिख रहे हैं। बता दे कि इन सब समस्याओं का निराकरण तो प्राकृतिक करेगी लेकिन जिन समस्याओं का निराकरण सरकार को करना चाहिए वह भी आज लाचार बिबस दिख रही हैं। शिक्षा विभाग में बने मुगलिया कानून के फरमान के चलते आज कोई भी पदाधिकारी और मंत्री प्राथमिक विद्यालय में नौनिहाल बच्चों की तरफ नहीं देख रहा है। सुबह से हो रही बूंदाबांदी वर्षा ठंडी हवाएं विद्यालय का गीला मैदान होने के कारण स्कूलों में दुबके शिक्षक बच्चों के साथ किसी तरह से अपना समय काटते देखे गए। लाचारी और बेबसी तब देखी गई जब विद्यालय में कहीं से कोई अलाव जलाने की व्यवस्था नहीं थी। यही नहीं कहीं कहीं तो विद्यालयो में कमरे की तंगी और टपकता हुआ छत से वर्षा का बूंद और मुश्किलें बढ़ा रही थी। कड़ाके के ठंड में घर जो शिक्षकों के आने का सफर है बूंदाबादी की वजह से गीले कपड़े नौकरी की बिबसता को एक बार फिर दर्शा रही थी। विद्यालय परिसर में ऐसे भी माध्यम वर्गीय और गरीब तबके के छात्र देखे गए जिनके तन पर गर्म कपड़े नहीं थे और जो थे भी वह बूंदाबांदी के कारण भीग चुके थे। कहीं-कहीं गांव से दूर के विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति भी कम देखी गई घर के गार्जियन अपने बच्चों को विद्यालय जाने नहीं दिया। बाइक से चलने वाले शिक्षक और शिक्षिका यात्री वाहन ठंडी हवा के कारण बिल्कुल गीले हुए कपड़ों में कप कपा उठे। पूर्व काल में यदि मौसम परिवर्तन होता था तो विद्यालय में छुट्टी दे दी जाती थी लेकिन आज उस कानून पर लगता है विराम लग गया है।
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