
शिक्षा से दूर मजदूरों का प्रदेश बनकर रह गया बिहार
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- May 16, 2024
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट
दुर्गावती(कैमूर)-संवाददाता की कलम से - परमात्मा के द्वारा प्राकृतिक प्रदत्त खनिज संपदा से भरा बिहार प्रदेश आज तक आजादी के बाद से केवल मजदूरों के नाम से पहचाना जाता है लगता है यह प्रदेश मजदूरों का प्रदेश बनकर रह गया। जिस बिहार से शिक्षा की ज्योति दुनिया में जलती थी उसका लव जो बुझा आज तक जल नहीं पाया। चरवाहा विद्यालय खोलने पर तो ध्यान राजनेताओं का गया लेकिन तकनीकी विश्वविद्यालय खोलने की जरूरत किसी राजनेताओं ने नहीं समझी जिसका परिणाम रहा कि विद्यालय और शिक्षा से दूर बिहार प्रदेश मजदूरों का प्रदेश बन गया। बिहार से जब भी क्रांति की आवाज उठी तो वह केवल केंद्र सरकार के विरुद्ध सत्ता परिवर्तन के लिए बिहार के परिवर्तन के लिए नहीं आज बिहार वहीं रह गया जहां बरसों पहले खड़ा था। न अच्छे मेडिकल कालेज बने न आईटी सेक्टर के विद्यालय बने न इंडस्ट्रियल जोन बने न ही यहां की भौगोलिक स्थिति बदली। आजादी के बाद से आज तक जितने भी बच्चे शिक्षा प्राप्त कर अपने बल पर नौकरी पेशा या रोजगार किए या पाए हैं ये बच्चे बाहरी प्रदेशों में तथा अन्य देशों में जाकर ज्ञान अर्जित किया जिसका परिणाम रहा की अन्य बच्चे पिछड़ गए और उनके माता-पिता भूख की प्यास मिटाने के लिए बच्चों के हाथ में किताब की जगह कुदाल धरा दिए और ऐसी मजबूरी बनी की आज बिहार मजदूर के प्रदेश के रूप में जाना जाने लगा। भारत ही नहीं विश्व के कोने कोने में चले जाइए जहां देखेंगे वहां मजदूरों के रूप में बिहारी ही दिखाई देगा ईस पर विचार कभी किया है बिहारी और बिहार के जनमानस के लोगो ने या बिहार के राजनेताओं ने। आज के परिवेश में बिहार में जातीय जनगणना की बात करते राजनीतिक दलों के लोग देखे जा रहे हैं और हुई भी क्या जातीय जनगणना केवल एक ही समुदाय के लोगों में कर देना उचित है क्या अन्य समुदायों में जातियां नहीं है इसी को आधार बनाकर वोट की राजनीति करने में आज के राजनेता लगे हुए है। क्या यह बिहार के विकास के लिए बिहार के शिक्षा के लिए बिहार के रोजगार के लिए और बिहार में इंडस्ट्रियल जोन आईटी सेक्टर स्थापित करने में सफल होने का रास्ता है इस पर विचार कब होगा।
जाति पाती की दीवानगी सर चढ़कर बोल रही है इससे मजदूरी मुक्त बिहार बन सकता है कभी। कुछ काल पूर्व बिहार को जातीय संघर्ष में धकेल दिया गया और खूब खून खराबे होते रहे क्या फिर भी बिहार बदला और यह तरीका सही था बिहार को बदलने के लिए। यह समय सोच समझकर चलने का है कोई भी राजनेता यह नहीं चाहता कि बिहार के हर वर्ग के बच्चों के हाथ में काम मिले और शिक्षा इसे बिहार वासियों को अच्छी तरह समझने की जरूरत है। जनता जब जागरूक होगी तो यह संदेश बिहार को तोड़ने और लूटने वाले राजनेताओं के पास जायेगा हो सकता है उन्हें सद बुद्धि आए और बिहार की किस्मत बदल सके। वर्तमान चुनाव पूरे देश का चुनाव है और दुनिया में देश की बढ़ती साख पर बट्टा लगाने वाले लोग लगे हैं इस बात को हम सबको समझना होगा और अपना बहुमूल्य वोट दुनिया में मजबूत राष्ट्र के रूप में खड़े होने वाले भारत के पक्ष में करना ही हम सबों का धर्म होगा। यदि राष्ट्र मजबूत होगा तो हम सब मजबूत होंगे इसलिए राष्ट्र का निर्माण करना हम सबों का प्रथम कर्तव्य है जाती पाती से ऊपर हटकर इस समय को हम सबको भली समझना होगा यही हमारा धर्म है और कर्तव्य भी।
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