हंसते खेलते परिवार का चमन उजड़ा निजी क्लीनिक में हुई मौत
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- May 19, 2024
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दुर्गावती संवाददाता श्याम सुंदर पांडे की रिपोर्ट
(कैमूर) दुर्गावती - भगवान का दर्जा पाए डॉक्टर भी आजकल पैसों की भूख में हैवान बन चुके है न अपने पद की गरिमा का ख्याल है न किसी की जान की परवाह पैसे की भूख मिटाने के लिए यदि किसी के परिवार की बलि चढ़ भी जाए तो कोई परवाह नहीं न समाज में लोक लाज की परवाह न अधिकारियों और कानून का भय धड़ल्ले से किसी तरह डिग्रियां हासिल कर खुलेआम राष्ट्रीय राजमार्ग पर हो या गांव में इलाज करते हुए अप्रशिक्षित डॉक्टर को देखा जा सकता है। उसी क्रम में दुर्गावती के एक अस्पताल आयुष में एक महिला की मौत इलाज के दौरान हो गई। प्राप्त खबरों के मुताबिक महिला सुभद्रा देवी थाना क्षेत्र के ग्राम दहियांव की रहने वाली थी जिनकी तबीयत 18 तारीख शाम को थोड़ा खराब हुई और उसे लेकर उनके पति नारायण चौबे बगल के आयुष क्लीनिक के डॉक्टर की डिग्री प्राप्त किए अमित के यहां चले गए और वह डॉक्टर अपने अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज जारी कर दिया
लेकिन 19 तारीख की सुबह 10:00 बजे के आसपास उनकी मौत उसी क्लीनिक में हो गई।
परिजनों की माने तो उनको चार महीने का प्रसव होने को था और पांच बच्चियों की मां बनने के बाद भी उन्हें पुत्र की आशा ने उन्हें बच्चे को जन्म देने के लिए विवस कर दिया। मौत की सूचना के बाद काफी संख्या में ग्रामीण और जनता स्वास्थ्य केंद्र पर उपस्थित हो गई और डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि जब डॉक्टर से इलाज नहीं संभाल तो उन्होंने रेफर क्यों नहीं कर दिया। उपस्थित जनसमूह के बीच किसी ने इसकी सूचना दुर्गावती के पुलिस स्टेशन को दी और सूचना मिलते ही पुलिस क्लीनिक पर जब पहुंची तो देखा कि डॉक्टर क्लीनिक से फरार है। जनसमूह के बीच लोग चर्चा कर रहे थे कि सैलून से कंपाउंडर तक का सफर प्राप्त कर किसी तरह से अप्रशिक्षित कंपाउंडर और नर्सों को रखकर डॉक्टर बना अमित अपनी डिस्पेंसरी चलाने का काम करता है इसी डॉक्टर के द्वारा मृतक के गांव दहियांव के ही एक बैठा समाज की बच्ची लगभग दो वर्ष पहले इसी अस्पताल में अपना अंतिम सांस ले चुकी है जिस मामले में प्रशासन के द्वारा अस्पताल पर ताला लगा दिए गया था और लंबे समय तक न जाने हॉस्पिटल बंद रहने के बाद पुनः किसी दूसरे नाम से अस्पताल कैसे खुला। हालांकि इस मामले में डॉक्टर से संपर्क साधने की कोशिश की गई लेकिन डॉक्टर अपने डिस्पेंसरी पर उपस्थित नहीं था जिसके कारण इलाज में हुई दिक्कतों का कोई विस्तृत उसके द्वारा नहीं प्राप्त हो सकी। हालांकि मृतक का शव गांव में पहुंचने के बाद शव देख परिजन और उनकी छोटी बच्चियों बिलख उठी और गांव में मातमी सन्नाटा छा गया। उपस्थित लोगों में से कुछ लोग सुलह सपाटे की बात करते नजर आए तो कुछ लोग डॉक्टर के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की बात कर रहे थे। गम में डूबे सुभद्रा के प्रति नारायण चौबे ने शव को लेकर अंतिम क्रिया के लिए प्रस्थान की तैयारी में जुट गए। समाचार लिखे जाने तक उनके द्वारा थाने में कोई आवेदन नहीं दिया गया था अब देखना यह है कि अंतिम क्रिया कर लौटने के बाद परिजन क्या कदम उठाते हैं। बता दे कि इस तरह से आए दिन अस्पतालों के विरुद्ध समाचार पत्र में खबर छपते रहते हैं फिर भी प्रशासन इन अप्रशिक्षित डॉक्टर और अवैध क्लिनिक के ऊपर कोई कार्रवाई करने में क्यों विफल रहा है। कार्रवाई नहीं होने की वजह से ही ऐसे अप्रशिक्षित डॉक्टरो के द्वारा मौत का सिलसिला आए दिन जारी है और प्रशासन मौन चुपचाप आए दिन तमाशा देखती रहती है।
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