शिक्षा समिति एवं मुखिया के द्वारा विद्यालय का किया गया निरीक्षण
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- May 21, 2024
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"स्वच्छता अभियान का खुला पोल तो विद्यालय में 20 दिनों से नहीं मिल रहा बच्चों को मध्याह्न भोजन"
संवाददाता सुचित पांडेय की रिपोर्ट
रामपुर(कैमूर)- प्रखंड के पुनाव विद्यालय पर ग्रामीण शिक्षा समिति एवं मुखिया के द्वारा किया गया निरीक्षण, निरीक्षण के क्रम में स्वच्छता अभियान का खुला पोल तो 20 दिनों से नहीं मिल रहा बच्चों को मध्याह्न भोजन। देखा जाए तो प्रखंड को वर्षों से खुले में शौच मुक्त घोषित होने के बावजूद भी सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं। आपको बताते चले की सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत हर घर शौचालय की बात धरातल पर नगण्य है। इतना ही नहीं संबंधित पदाधिकारीयों द्वारा प्रखंड को विगत वर्ष खुले में शौच मुक्त भी घोषित किया जा चुका है। पर धरातल पर देखा जाए तो हर गांव के सड़कों पर गंदगी का अंबार देखने को मिलेगा, क्योंकि 60% शौचालय सिर्फ कागजों तक ही बनकर सीमित रह गया। संबंधित कर्मियों द्वारा 30-40 प्रतिशत कमीशन लेकर अन्य लोगों के शौचालय पर खड़ा करा कर फोटो लेते हुए जीरो टेक करा दिया गया। तो सार्वजनिक सुलभ शौचालय या सरकारी शिक्षण संस्थानों में बने शौचालय छाया प्रति बनकर रह गया। सरकारी महकमों के अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों के साथ स्कूलों में बच्चों के बीच भी स्वच्छता से संबंधित तालीम दिया गया, खुले में शौच से होने वाली बीमारियों से भी अवगत कराया गया। पर धरातल की स्थिति देख जाए, तो स्वच्छता अभियान की बात बेमानी लगती है। जबकि स्वच्छता अभियान को लेकर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है, बताते चलें कि रामपुर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पुनाॅव में कुछ दिन पहले ही शौचालय का निर्माण कराया गया था। लेकिन चालू होते ही टूट गया जिसमें गंदगी की अंबार लगा हुआ है| ऐसे में स्कूल आए हुए बच्चों को शौचालय जाने की आवश्यकता हुई तो खुले में ही जाना पड़ता है। तो वही 20 दिनों से मध्यान्ह भोजन भी बंद है स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक के द्वारा बताया गया कि इस कमी को बहुत जल्द हम सुधार कर लेंगे शौचालय के लिए कोई अलग से फंड नहीं आता है इसलिए इसकी मरम्मत नहीं हो पाई है गैस हम 2 दिन के अंदर ला कर बच्चों का भोजन चालू करवा देंगे। पर हकीकत देखा जाए तो प्रखंड क्षेत्र का क्या जिला के अधिकांश विद्यालयों का यही स्थिति है।
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