विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापना के मामले में बिहार के साथ अन्याय फिर भी पक्ष विपक्ष श्रेय लेने की होड़ में

विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापना मामलों में बिहार के साथ अन्याय क्यों- पंकज राय

कैमूर-- भारत सरकार के वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के द्वारा बिहार प्रदेश की प्रगति हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापना के लिए विगत जून महीने में निरीक्षण कर पश्चिमी चंपारण के कुमार बाग एवं बक्सर के नवानगर को चयनित किया गया। संदर्भ में कैमूर किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य सह कलमकार पंकज राय ने कहा कि आखिर केंद्र से अब तक  बिहार में विशेष आर्थिक क्षेत्र सिर्फ दो ही क्यों मिला। यूपीए और एनडीए दोनों सरकारों की बात किया जाए तो यह बिहार के साथ सौतेला व्यवहार है। बहुत समय तक बिहार की जनता ने यूपीए को अधिक से अधिक लोकसभा सीटें दीं वहीं 2014 में एनडीए को बिहार की जनता ने 31 लोकसभा की सीटें दी, 2019 में 39 और 2024 में 30 लोकसभा की सीटें दीं, फिर बिहार के साथ भेदभाव क्यों? क्या इस तरह के सौतेलेपन व्यवहार से रुकेगा बिहार से पलायन?  क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से देश का 12वां सबसे बड़ा राज्य, जनसंख्या की दृष्टि से देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य और विशेष आर्थिक क्षेत्र में हमारी हिस्सेदारी सिर्फ आधा फ़ीसदी क्यों?

सिर्फ दो विशेष व्यापार क्षेत्र मिलने के बावजूद भी बिहार के राजनीतिक दलों और नेताओं में श्रेय लेने की होड़ लगी है।

यह तो ठीक उसी प्रकार हुआ कि तालाब खुदा नहीं, मगरमच्छ डेरा डाल बैठे ?



इन दिनों बिहार की राजनीति में विशेष आर्थिक क्षेत्र को लेकर के चर्चा बड़े जोरों पर है। एक तरफ केंद्र और राज्य की सत्ता में शामिल लोग, अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं कि उन्होंने बिहार को दो विशेष आर्थिक क्षेत्र दे दिया, तो वहीं विपक्ष के कुछ नेता विशेष आर्थिक क्षेत्र के अपने मांग को मनवा लेने का दावा कर रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच एक आम बिहारी क्या सोच रहा है, क्या कभी भी इन नेताओं और राजनीतिक दलों ने विचार किया? 

सबसे पहले अपने पाठकों को हम बताना चाहेंगे कि विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी विशेष व्यापार क्षेत्र क्या होता है।विशेष आर्थिक क्षेत्र किसी देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर एक विशेष रूप से चिह्नित क्षेत्र या परिक्षेत्र होता है, जिसमें देश के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक उदार आर्थिक कानून होते हैं। भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र नीति पहली बार 1 अप्रैल 2000 को लागू हुई। मुख्य उद्देश्य विदेशी निवेश को बढ़ाना और निर्यात के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी और परेशानी मुक्त वातावरण प्रदान करना था।आंकड़ों के अनुसार हालाँकि विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना का कार्य वर्ष 2000 से 2006 तक (विदेश व्यापार नीति के तहत) भारत में चालू था। भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र को चीन के सफल मार्गदर्शन के साथ मिलकर संरचित किया गया था। भारत में कुल 425 विशेष आर्थिक क्षेत्र की संख्या है, जिसमें से वर्तमान में 379 अधिसूचित हैं, जिनमें से 265 संचालित है। लगभग 64% विशेष आर्थिक क्षेत्र पाँच राज्यों - तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित हैं।तमिलनाडु में 50, आंध्र प्रदेश में 25, कर्नाटक में 34 तेलंगाना में 36 और महाराष्ट्र में 37, गुजरात में 21 है। यानी इतने व्यापक स्तर पर यहां रोजगार सृजन किया गया है। लेकिन आबादी के दृष्टिकोण से तीसरे सबसे बड़ा राज्य में अभी तक एक भी क्यों नहीं बन पाया ? क्या बिहार में विशेष आर्थिक क्षेत्र न बनाने के पीछे राजनीतिक दलों की यही मनसा है कि बिहार के युवा पूरे देश में घूम-घूम कर मजदूरी करते रहे ? केंद्र सरकार और राज्य सरकार से अनुरोध है कि जल्द से जल्द बिहार में विशेष आर्थिक क्षेत्रों की संख्या कम से कम 10 की जाए, और हमें हमारी जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से हिस्सेदारी दी जाए। हमारा आर्थिक विकास तभी संभव है, और क्षेत्र का पलायन भी तभी रुकेगा। इस मामले को लेकर के बिहार के नागरिकों को प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखना चाहिए। हजारों की संख्या में पत्र भेजिए और अपने पलायन की समस्या का समाधान करने की मांग कीजिए।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट