स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मस्थली रहा है चेनारी प्रखंड

जिला संवाददाता दिनेश तिवारी की रिपोर्ट

चेनारी (रोहतास)-- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में चेनारी प्रखंड के कुल चालीस स्वतंत्रता सेनानियों ने यह कहते हुए देशवासियों से विदा ले लिया कि " हम लाये है तूफान से कश्ती निकाल के इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के" आजादी के चिर स्मरणीय इतिहास में इन सपूतों ने सन् 1930 से 1942 के अंग्रेज भारत छोड़ो आन्दोलन तक अपनी अवाज बुलंद करते हुए कई बार जेल गये. यातनाएं सही परन्तु भारत को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने का संकल्प जारी रखा। चेनारी प्रखंड क्षेत्र के आजादी की लड़ाई में शामिल श्री राम रूप प्रसाद, हीरालाल, स्वामी जोगानंद गुप्ता, कैलाश सेठ, राम स्वरूप राम नौनियार, गोखुल राम, भगेलू माली, शिवनद्रन गोस्वामी, रामलखन सोनार, लगन राम तेली, भगवान राम गुप्ता, जीउत पाण्डेय, दरोगा प्रसाद सिंह, राम प्रगास जायसवाल, बटूकेश्वर प्रसाद जयसवाल, मुखारी तिवारी, कुबेर तिवारी, जोखन दूबे, नन्हकू मियां, लक्ष्मी सिंह, रामसुंदर गुप्ता, जमीरूल्लह मियां, तिलाकधारी पाण्डेय, अवध सिंह, बाउल पाण्डेय, गनेश राम, किशोरा पाण्डेय, प्रसाद पाण्डेय, दवर पाण्डेय, बाल रूप बिंद, हर्षू पाण्डेय, चंदर पाण्डेय,भगवान राम पनेरी, नगीना लाल, संतन राम, बेचू पाण्डेय, राम ब्यास निहोरा, सुरेंद्र गुप्ता इन योद्धाओं में इस क्षेत्र के महान स्वतंत्रता सेनानी हाजी नन्हकू मियां भी थे। 105 वर्षीय हाजी नन्हकू मियां स्वतंत्रता के बाद देश के बिगड़े हुए स्वरूप को सहन न कर सके और 15 अगस्त 2002 को स्वतंत्रता दिवस के दिन सासाराम रेलवे मैदान में झंडा तोलन स्थल पर ही अपना प्राण त्याग दिए। चेनारी क्षेत्र के प्रेरणा स्रोत रहे नन्हकू मियां आजादी के दीवानों में अग्रणी थे। भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी के अह्रवान पर उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया था। सन् 1942 के आंदोलन में जेल जाने के बाद तत्कालीन अनुमंडलीय मजिस्ट्रेट एच बी मार्टिन ने 3 फरवरी 1943 को केस नं. 1197 में गिरफ्तार कर उन्हें छ: माह की कैद एवं 150 रुपए के जुर्माना के साथ दंडित किया था। हाजी नन्हकू मियां के पिता का नाम स्व. मौला मियां था. हाजी नन्हकू मियां के परिवार में लगभग दो सौ सदस्य हैं जिनमें उनके पांच पुत्र एवं एक पुत्री है. भारत के राष्ट्रपति द्वारा ताम्रपत्र से नवाजे गए नन्हकू मियां का जन्म 1 जनवरी 1898 को हुआ था। 15 अगस्त 2002 को प्रशासनिक पदाधिकारी की मौजूदगी में उनके निवास स्थान चेनारी में सैन्य बलों की तोपों की सलामी के बाद दफनाया गया था। अप्रैल 1988 में बिहार प्रदेश के कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष एवं सांसद तारीख अनवर द्वारा उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का प्रमाण पत्र दिया गया था तथा पूर्व सांसद एवं वर्तमान मंत्री बिहार सरकार के छेदी पासवान ने भी हाजी नन्हकू मियां को आजादी के सफल संचालन का आभार प्रकट करते हुए 27 जून 2000 को प्रमाण पत्र दिया था। 14 दिसंबर 1970 को भारत के संसद सदस्य अब्दुल क्यूम अंसारी ने भी सामान पत्र दिया। 10 दिसंबर 1988 को उत्तर प्रदेश के लघु उद्योग एवं हैंडलूम मंत्री ने सम्मानित किया। 1993 में उनके व्यक्तित्व एवं कृतिज्ञ पर बिहार के तत्कालीन राज्यपाल मोहम्मद शफी कुरैशी ने प्रमाण पत्र  अलंकृत किया था. बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित सदाकत आश्रम में सन् 1992 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष डॉ जगन्नाथ मिश्रा द्वारा आजादी के स्वर्ण जयंती के अवसर पर प्रशस्ति पत्र से नवाजे गए थे. भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारा इन्हें वातानुकूलित प्रथम श्रेणी का पास दिया गया था. जिससे उन्होंने देश के कोने-कोने में जाकर एकता और भाईचारे का संदेश दिया। सन् 1955-56 में संत विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लेकर विनोबा जी के साथ रोहतास जिला के प्रय: सभी प्रखंडों में लोगों को भूमि दान के लिए उत्प्रेरित किया था तथा उससे मिलो हजारों एकड़ भूमि को गरीब एवं भूमिहीनों में वितरित कराया था. आजादी के ये सभी वीर सपूत चेनारी वासियों के बीच आज नहीं है. फिर भी उनका योगदान भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है. प्रखंड मुख्यालय परिसर में अवस्थित शिलालेख से लेकर चेनारी बाजार के गांधी चौक पर अंकित नेम प्लेट आज भी आजादी की याद ताजा करता है।

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