आरक्षण पर राजनीति कही तख्ता पलट का ट्रायल तो नहीं

 संवाददाता श्याम सुंदर पाण्डेय की रिपोर्ट 

दुर्गावती(कैमूर)-- देश के सर्वोच्च अदालत उच्चतम न्यायालय द्वारा क्रीमी लेयर लागू कर आरक्षण से वंचित लोगों के हित के लिए सुझाव दिए जाने वाले फैसला के बाद देश में उबाल आया और संपूर्ण विपक्ष भारत बंद का ऐलान करके जन मानस के जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दिया।भारतीय संसद में सरकार के द्वारा यह निर्णय लिए जाने की घोषणा करने के बाद भी की आरक्षण जिस तरह से लागू है उसी तरह से रहेगा और उसमें कोई फेरबदल नहीं होगा।माननीय न्यायालय ने क्रीमी लेयर लागू कर पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग में आरक्षण से वंचित लोगों को आरक्षण देने की राज्य सरकारों के लिए सलाह दी, जबकि इसे जबकि अभी इसे किसी भी राज्य में लागू नहीं किया गया है।तो फिर भारत बंद क्यों क्या इसे तख्ता पलट का ट्रायल कहा जाना अनुचित होगा। क्रीमी लेयर में रहने वाले क्या चाहते है, जो अभी तक भी आरक्षण से वंचित है वह आम नागरिक क्या देश के नागरिक नहीं है और यदि है तो क्या उन्हें सुविधा नहीं मिलनी चाहिए आरक्षण का। जीतन राम मांझी ने अपने बयान में कहा था कि जो आरक्षण के लाभुक वर्ग के लोग हैं आगे बढ़ते जा रहे हैं और धनी होते जा रहे हैं और वह नहीं चाहते कि  अन्य लोग  भी आगे बढ़े । आरक्षण धारी यह चाहते हैं कि आरक्षण का लाभ उन्ही जातियो को मिले बाकी उससे किसी अन्य जातियों को लाभ न मिल सके। क्या आरक्षण धारी चाहते है की इसका लाभ केवल मायावती चंद्रशेखर रावण चिराग पासवान जैसे लोग और उनके खानदान के लोगो को आजीवन मिलता रहे। क्या किसी राजनेता ने उन लोगों के विषय में सोचना उचित समझा  कि जिन लोगो ने देश में आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और अपने मां बहन के बलात्कार को भी अपने आंखों के सामने देखने के बाद प्राण छोड़ें, सच पूछे तो मामला यहीं खत्म नहीं होता अपनी संपत्ति अपना राज्य कोष अपनी जमीन भी देश को समर्पित कर दी  जो सत्ता चलाने के लिए काम आए ताकि देश  में सरकार बनने के बाद देश को चलाने वालो को कोई अभाव महसूस न हो और देश सुचारू रूप से चले उनके परिजनों का क्या होगा क्या वे भारत के नागरिक नहीं थे। इस तरह की गंदी राजनीति से देश में तनाव के सिवा कुछ नहीं होने वाला है। आपसी भाई चारा को वोट के लिए बिगाड़ना देश हित में नहीं आगे प्रभु की मर्जी क्योंकि रखवाला तो वही है।

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