महिलाओं के द्वारा श्रद्धा भक्ति से व्रत रख बड़े ही धूमधाम से मनाया गया हरतालिका तीज का व्रत

कैमूर- देश व प्रदेश के साथ ही जिला सभी गांव नगर शहर में सनातन धर्म के सुहागिन महिलाओं द्वारा बड़े हैं श्रद्धा भक्ति से व्रत रख धूमधाम से मनाया गया हरतालिका तीज का व्रत। 

आईए जानते हैं इस व्रत त्यौहार को कब और क्यों मनाया जाता हैं?

इस व्रत त्यौहार को हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है जो इस बार 6 सितंबर को मनाई गई। हस्त नक्षत्र में होने वाला यह व्रत सनातन धर्म की सुहागिनें पति की लंबी आयु और अविवाहित युवतियां मनवांछित वर प्राप्ति की कामना के साथ करती हैं।इस दिन महिलाएं 24 घंटे तक निर्जला उपवास रहकर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन आसपास की मंदिरों में पहुंच कर करती है। मंदिर में महिलाएं माता पार्वती को सुहाग और श्रृंगार का सामान और प्रसाद चढ़ाती हैं, साथ ही भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की पौराणिक कथाओं का श्रवण करती हैं।

आइए जानते हैं कि आखिर क्यों इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा 

पुराणों में उल्लेख मिलता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया और वरदान में उन्हें ही मांग लिया। मान्यता है कि इस दिन को ‘हरतालिका’ इसलिए कहते हैं कि पार्वती शिव को अपनी पति मानकर इस दिन को तीज का व्रत रखी थी और जब ध्यान में मग्न हुई तो सहेलियां उनका हरण कर घनघोर जंगल में ले गई थी. ‘हरत’ अर्थात हरण करना और ‘आलिका’ अर्थात सहेली, यानी इस दिन मां पार्वती के सहेलियां द्वारा इनका हरण किया गया था। जिस वजह से इस त्यौहार को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है।

रिपोर्टर

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