
महुआ के लड्डू और बिस्किट से सजेगा पहाड़ी के गांवों का भविष्य
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- Feb 12, 2025
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रोहतास। जिला मुख्यालय सासाराम और कैमूर पहाड़ी के गांवों में अब पर्यटकों के लिए खास तरह से महुआ के लड्डू और बिस्किट बनाए जाएंगे। इस पहल के तहत चार गांवों में वन विकास समिति ग्रामीणों को प्रशिक्षण देगी। कैमूर पहाड़ी के नौहट्टा, रोहतास, चेनारी, शिवसागर और सासाराम प्रखंड के 20 राजस्व ग्रामों में वनवासी बड़ी संख्या में रहते हैं, जहां महुआ के पेड़ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। अब इन गांवों में कुटीर उद्योग के माध्यम से महुआ के लड्डू और बिस्किट बनाए जाएंगे। इसके लिए आवश्यक मशीनें और संसाधन वन विभाग द्वारा इको वन विकास समिति को प्रदान किए जाएंगे। बुधवार को रोहतास किला पर बनवासी कल्याण महोत्सव मनाया गया। जिसमें काफी संख्या में लोग इकट्ठा हुए।डीएम धर्मेंद्र कुमार और डीएफओ प्रदुम्न गौरव के प्रयासों से इसका सरकारीकरण किया गया । जब पहली बार सरकारी महोत्सव मनाया गया था तब डीएम धर्मेंद्र उसी समय की फ़ाइल तस्वीरें हैं । खबर नई है ! अब हमारे जंगलों का तकदीर बदलने लगा है !
कैमूर पहाड़ी के इन गांवों में रोजगार के सीमित साधन हैं। अब वन विभाग ने इको विकास समिति का गठन कर ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने और वनोत्पादों का उचित मूल्य दिलाने की योजना बनाई है। बमन तालाब गांव के निवासी राजबली सिंह बताते हैं कि रोहतास गढ़ किला आने वाले पर्यटक महुआ के लड्डू को काफी पसंद करते हैं। लेकिन राज्य में महुआ की खरीद-बिक्री प्रतिबंधित होने के कारण बाहर के व्यापारी इसे सस्ते दामों पर चोरी-छिपे खरीद लेते हैं। इको विकास समिति के गठन से अब ग्रामीणों को इसका पूरा लाभ मिलेगा।
वन विभाग द्वारा वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के विकास और रोजगार सृजन के लिए इको विकास समिति का गठन किया गया है। इस समिति में 8 से 25 सदस्य होते हैं, जिसमें अध्यक्ष गांव के लोग होते हैं, जबकि सचिव वनपाल होता है। इस समिति के माध्यम से वनोत्पादों और अन्य संसाधनों का उपयोग कर गांवों का विकास और रोजगार के नए अवसर पैदा किए जाते हैं।महुआ सिर्फ एक वनोत्पाद नहीं, बल्कि एक औषधीय पौधा भी है। इसमें कई पोषक तत्व होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत करने के साथ-साथ हड्डियों और मांसपेशियों को भी शक्ति प्रदान करते हैं। महुआ खांसी, ठंड, हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। इसमें मौजूद थायमिन (विटामिन B1) तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखता है, जबकि कैल्शियम हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। इस कारण इसे 'इंडियन बटर ट्री' भी कहा जाता है।वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) मनीष कुमार वर्मा ने बताया कि, कैमूर पहाड़ी के गांवों में रोजगार सृजन और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए महुआ से लड्डू और बिस्किट बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नौहट्टा, रोहतास, और चेनारी के पहाड़ी गांवों में इको विकास समिति की देखरेख में इस निर्माण प्रक्रिया को संचालित किया जाएगा। इससे महुआ के फलों को बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा और ग्रामीणों को इसका उचित मूल्य भी मिलेगा।
यह पहल सिर्फ ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त करने का जरिया नहीं है, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। महुआ से बने उत्पाद न केवल स्थानीय लोगों की आय बढ़ाएंगे, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक होने के कारण इनकी मांग भी बढ़ेगी। इको विकास समिति का यह कदम पहाड़ी गांवों में नए रोजगार और समृद्धि की एक नई रोशनी लेकर आएगा।
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