
भेद भाव युक्त राजनीति का केंद्र बना भारत देश
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Feb 23, 2025
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय
संवाददाता की कलम से
दुर्गावती(कैमूर)-- भेदभाव युक्त कानून और भेदभाव युक्त राजनीति के चलते इस देश में एक दूसरे के प्रति नफरत का जो दौर चल रहा है वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। कभी दलित महादलित, कभी दलित अल्पसंख्यक, कभी हिंदू मुसलमान, तो कभी यादव मुसलमान और कभी दलित मुसलमान कभी जनजातियों का कार्ड का कार्ड खेलने में माहिर राजनेता देश को एक अलग तरह का संदेश दे रहे हैं, जिसके चलते देश एक अलग दिशा की तरफ जा रहा है। जिसका परिणाम है कि एक दूसरे के प्रति नफरत की जो आग है बुझने के सिवा अंगारे का रूप लेती जा रही है। वर्तमान सरकार आज के परिवेश में हिंदू मुसलमान और सनातन धर्म की अलख लगाकर ओबीसी कार्ड खेलने में लगी हुई है। आजादी के बाद से आज तक देश का सवर्ण समुदाय इन राजनीतिक दावा पेच में फंसकर पिसता चल आ रहा है। कहां है समानता का अधिकार जो सबको बराबर की जिंदगी जीने का अधिकार देता है। अल्पसंख्यक के नाम पर जो सुविधाओं का दौरा भारत में चल रहा था आज वह अल्पसंख्यक देश का सवर्ण बन चुका है और सुविधा के नाम पर कुछ नहीं। आरक्षण की जंजीर देश की लकीर और तकदीर बनकर राजनेताओं का हथियार बन चुकी है, अब ओबीसी के कार्ड का बंधन भारतीय राजनीति के बीच में एक नई दिशा दे रहा है। आज कभी जातीय आधारित कानून तो कभी जातीय आधारित प्रमोशन का दौर चल रहा है यह कब खत्म होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। अब सवर्ण समुदाय को घोर निद्रा से कमसे कम जग जाना चाहिए समय आगया है अन्यथा धीरे-धीरे भारतीय राजनीति में जातीय आधारित कानून के माध्यम से इस समुदाय का अस्तित्व ही मिट जाएगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी भारतीय राजनेताओं की होगी।
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