
होली पर्व की रस्म अदायगी में जुटे राजनेता
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Mar 11, 2025
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की कलम से
दुर्गावती (कैमूर)-- यह देश विभिन्न संप्रदायों का धर्मो का और त्योहारों का देश रहा है और आज भी है जहां अपने-अपने मजहब और धर्म के अनुसार खुशी पूर्वक ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक त्यौहार मनाये जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्य बस जातीय राजनीति और तुष्टीकरण के चलते देश में आज इतनी कटुता बढ़ गई है कि लोग आपसी भाईचारे की बात तो दूर खुशी से अपना त्यौहार भी नहीं मना पा रहे हैं। इसी क्रम में राजनीति करने वाले राजनेता अपनी वोट की राजनीति करने के लिए जगह-जगह होली मिलन समारोह करके राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं ताकि बिहार में आने वाले विधानसभा में हम अपने वोटरों को स्थाई बना सके। आज के परिवेश में जातीय आधारित कानून जातीय आधारित सुविधा जातीय आधारित टिकट जाति आधारित त्योहारों की छुट्टी मिल रही है उसके चलते जनमानस एक दूसरे से अलग और भिन्न हो चुकी है जिसे जोड़ने में बहुत समय लग सकता है। संविधान की दुहाई देने वाले राजनेता आज अपने ही देश में संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं और संविधान के दायरे से बाहर होकर बयान बाजी करते देखे जा रहे हैं। 10 वर्षों के लिए बने आरक्षण का कानून नियमित रूप ले चुका है जहां देखो राष्ट्रीय राजमार्ग हो या बिहार सरकार की जमीन चारों तरफ अतिक्रमण ही अतिक्रमण दिखाई दे रहा है। और उस बिहार सरकार की जमीन में एक विशेष वर्ग के द्वारा मूर्तियां स्थापित कर संविधान के धज्जियां उड़ाई जा रही है जिस पर प्रशासन और राजनेता चुपी साधे हुए हैं। लेकिन जब कोई त्यौहार आता है तो यह राजनेता देश में शांति और सौहार्द मय वातावरण का अलख जागते देखे जा रहे हैं। उन्हें यह नहीं पता होता की जो कानून बना रहे हैं देश में रंगभेद का जातीय का क्या उससे सौहार्द पूर्ण वातावरण बनी रहेगी या नफरत। आज के परिवेश में देश में अगर सचमुच सौहार्द मय वातावरण बनाना है तो समान कानून का परिवेश लाना होगा, और सबके लिए एक समान काम करना ही होगा वरना न कभी देश में समानता नहीं आएगी न सौहार्द पूर्ण वातावरण ही होगा।
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