अतिक्रमण के चपेट में शहर के रास्ते चौराहे, गांव की गालियां, पोखर व तालाब

सरकार की अतिक्रमण मुक्ति अभियान सिर्फ कागजों तक सीमित 

संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट 

जन समस्याएं संवाददाता की कलम से 

दुर्गावती(कैमूर)- जहां देखो अतिक्रमण ही अतिक्रमण दिखाई दे रहा है, चाहे वह गांव की गलियां हो या शहर के चौक चौराहे या तालाब पोखरे और आहार यह क्या दर्शाता है सरकार की सफलता या बिफलता। सरकार के द्वारा सरकारी घोषित जमीन का रास्ता हो या शहर का चौक चौराहा या गांव की गालियां आहार और पोखरे हो इस पर हो रहे अतिक्रमण की देखरेख साफ सफाई कौन करेगा, किसकी जिम्मेवारी है। लेकिन जो रक्षक है वही आज भक्षक बनकर शासन कर रहा वह अपने चंद वोट के स्वार्थ में अतिक्रमण का लगता समर्थक बन गया है तभी तो कोई कारवाई नहीं होती। जहां भी तालाब और पोखरे है उसके अतिक्रमण से जल संचय की प्रक्रिया एकदम विलुप्त हो गई है, और सरकार केवल कागजों में योजना बनाती रह जाती है। घर तो लोग बना लेते हैं लेकिन पानी निकासी के लिए घर के नाबदान का मुंह गली में खोल देते हैं जिसके कारण बदबू के साथ-साथ कई रोगों का आमंत्रण होते रहता है। यही हाल शहर के चौक चौराहे आम रास्ते और सड़कों का भी है, जिसके कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। बदबू से दुर्गंध आते रहता है और प्रशासन मूक दर्शक बना देखते रहता है। प्रशासन अतिक्रमण के कारण के मूल पर ध्यान नहीं देकर दुर्घटनाओं में खाना पूर्ति करके अपना कोरम पूरा कर लेता है। हालांकि आम जनता को भी अपनी व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है। लेकिन राजनैतिक शासक वर्ग और उसके अंग प्रशासन की कमी का परिणाम है, कि आज चारो तरफ अतिक्रमण ही अतिक्रमण दिखाई दे रहा है, और कोई पूछने वाला नहीं है न कहीं कानूनी कार्रवाई होती दिखाई दे रही है। जिसके कारण लोगों का मनोबल बढ़ते जा रहा है, और रास्ते गांव की गालियां और तालाब पोखरे अतिक्रमण के चपेट में आते जा रहे हैं। ऐसे मुद्दों पर सरकार को सख्त हो कर कारवाई करने जरूरत है। अन्यथा रास्ते गांव की गलियां तालाब पोखरे आहार शहर के चौक चौराहा से कभी भी अतिक्रमण नहीं हटाया जा सकता। बिना कानून के भय के जनता मानने वाली नहीं है, राजनेताओं को अपने वोट की राजनीति नहीं करके ऐसे मुद्दों पर सख्त होने की जरूरत है, तभी अतिक्रमण के मूल समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। सरकार द्वारा अतिक्रमण मुक्ति के लिए दिशा निर्देश तो दिया जाता हैं पर धरातल पर सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गया है।

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