कोरोना के कहर से और लॉकडाउन से परेशान है,निजी स्कूलों के शिक्षक और प्राइवेट ट्यूटर

कैमूर ब्युरो आशुतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट

भभुआ (कैमूर) रामगढ़ ।। दो हजार से पांच हजार मासिक वेतन पर निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक और गाँव देहात में ट्यूशन पढ़ाने वाले शिक्षक आज जिल्लत की जिंदगी जी रहे। लॉक डाउन से सारी व्यवस्थायें बंद हो चुकी है। स्कूल ट्यूशन और लगभग हर बिजनेश बंद के हालात में है।जिससे लोग भुखमरी के हालात में जी रहे है । 

निजी स्कूल के शिक्षकों के दर्द को कोई समझने वाला नहीं। ये मजदूरी भी नहीं कर सकते, मान सम्मान की जिंदगी जी लेंने के बाद खेतों में मजदूर के रूप में काम करना, मजदूरी करना किसे पसंद होगा।आखिर कैसे चलेगा इनका परिवार?आने वाले दिनों में लूट चोरी,डकैती जैसे वारदात बढ़ने की संभावना प्रबल हो चुका है। अपना और अपने परिवार का पेट पालने का जद्दोजिहद में जाए तो कहां जाए।ऐसे शिक्षकों का अपना न कोई बिजनेस है और ना ही खेती बारी।फिर अपने परिवार का पालन पोषण भोजन की व्यवस्था कैसे होगी। कल सूर्यपुरा दैतरा बाबा के पुल के पास बाइक सवार से छिनैती की घटना हुई। इससे पहले एक लंबा अरसे तक चोरी और छिनैती की घटना बन्द थी।लेकिन सारे काम धंधे चौपट हो जाने के बाद एक एक रुपए को तरस रहे है लोग। युवा समाजसेवी प्रदीप कुशवाहा ने बताया कि शिक्षक तो परेशान है ही साथ ही छोटे छोटे पुटपाथी दुकानदार , ठेला वाले, फुटपाथ पर कपड़ा बेचने वाले, चाय वाले, बादाम बेचने वाले , छोटे खुदरा व्यापारी, मजदूर सभी भुखमरी के कगार पर है। इनका सहारा कोई नहीं है।और समाजसेवी प्रदीप कुशवाहा ने यह भी बताया कि शत्रुघ्न बिन्द, मुन्ना बिन्द,बिपिन मौर्य,धर्मेन्द्र खरवार,नीलेश गुप्ता,अमरीश,शत्रुघ्न यादव जैसे शिक्षक आज अपना जैसे तैसे अपने परिवार को किसी तरह चला पा रहे है इनकी स्थिति सामान्य नही है ये लोग भुखमरी के कगार पर है

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