
करमचट डैम पर सैलानियों की भीड़, हुड़दंगियों का आतंक और गंदगी का अंबार, प्रशासन मौन
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Jul 21, 2025
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जिला संवाददाता संदीप कुमार की रिपोर्ट
कैमूर-- जिले की खूबसूरत पहाड़ियों पर स्थित करमचट डैम, जिसे दुर्गावती जलाशय के नाम से भी जाना जाता है, रविवार को हजारों हजार सैलानियों की भीड़ से गुलजार रहा।
हालांकि, यह मनोरम पर्यटन स्थल प्रशासनिक उदासीनता और हुड़दंगियों के आतंक के कारण अपनी पहचान खोता जा रहा है। यहां आने वाले पर्यटकों, विशेषकर परिवारों की सुरक्षा भगवान भरोसे है, वहीं जलाशय में बढ़ती गंदगी इसके अस्तित्व पर संकट खड़ा कर रही है। कैमूर और रोहतास को जोड़ने वाले पुल पर हुड़दंगी बाइकर्स का आतंक देखने को मिला। तेज रफ्तार में बाइक चलाने और खतरनाक स्टंट करने से यहां आने वाले सैलानियों में हर समय किसी अनहोनी का डर बना रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या हर दिन की है, लेकिन प्रशासन इस पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। यह स्थिति तब और भी चिंताजनक हो जाती है, जब हाल ही में रोहतास जिला अंतर्गत कैमूर की पहाड़ियों में मनचलों द्वारा एक महिला और पुरुष सीओ को परेशान करने की घटना सामने आई थी, जिसके बाद तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। इन घटनाओं के बावजूद, पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस प्रशासनिक व्यवस्था यहां नजर नहीं आती। करमचट डैम पर आने वाले हजारों सैलानियों के लिए प्रशासन की ओर से कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। यहां न तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं और न ही स्वच्छता की कोई वैकल्पिक व्यवस्था। इसका नतीजा यह है कि पर्यटक जलाशय में प्लास्टिक की बोतलें, कचरा और खाने-पीने की बची हुई चीजें फेंक रहे हैं।
इससे दुर्गावती जलाशय का निर्मल पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है। यह जलाशय न केवल एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, बल्कि हजारों किसानों के लिए सिंचाई का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों ने वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस पर्यटन स्थल की देखरेख और इसे प्रदूषण मुक्त रखने की जिम्मेदारी वन विभाग की है, लेकिन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। लोगों ने मांग की है कि हुड़दंगियों पर नकेल कसने और जलाशय में गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए। यह विडंबना है कि एक ओर जहां सरकार इस क्षेत्र को एक बड़े इको-टूरिज्म और एडवेंचर हब के रूप में विकसित करने के लिए करोड़ों रुपये की योजनाओं को मंजूरी दे रही है, वहीं दूसरी ओर मौजूदा बुनियादी सुविधाओं का अभाव और प्रशासनिक लापरवाही इन योजनाओं पर पानी फेर सकती है। इसलिए वन विभाग और प्रशासन इस ओर ध्यान दें।
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