नए संसद भवन के लिए न तो धरोहर ढांचा नष्ट होगा और न ही पेड़ कटेंगे

ब्यूरो चीफ देवेन्द्र कुमार की रिपोर्ट   

जमुई ।। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 20000 करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का बचाव करते हुए कहा कि नए संसद भवन और केंद्रीय सचिवालय भवनों के निर्माण में किसी भी धरोहर ढांचे (हेरिटेज स्ट्रक्चर) को नष्ट नहीं किया जाएगा और न ही पेड़ों को काटा जाएगा। सरकार ने यह भी कहा है कि मौजूदा संसद भवन न तो जरूरतों के मुताबिक है और न ही यह सुरक्षित है।

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने कहा कि नए संसद भवन का निर्माण मौजूदा इमारत के बगल में 09.05 एकड़ जमीन पर कराया जाएगा। सरकार ने आगे कहा कि नई परियोजना के तहत सभी 51 मंत्रालय 10 इमारतों में होंगे। फिलहाल केंद्रीय सचिवालय 47 इमारतों व घरों में है। 39 मंत्रालय मौजूदा सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में है , जबकि 12 मंत्रालय इसके बाहर है। नई परियोजना के तहत कई मंत्रालयों में जाने - आने के लिए तीन किमी भूमिगत शटल प्रस्तावित है। इसे मौजूदा उद्योग भवन और केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन से जोड़ा जाएगा।

सीपीडब्ल्यूडी ने आगे बताया कि सेंट्रल विस्टा में बनने वाली 10 इमारतों में 51 मंत्रालयों को समायोजित किया जाएगा। नए लोकसभा चैंबर में 876 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी और संयुक्त सत्र होने पर 1224 सदस्यों को इस भवन में समायोजित किया जा सकेगा। वहीं प्रस्तावित राज्यसभा चैंबर में 400 सदस्यों के बैठने का इंतजाम किया जाएगा उल्लेखनीय है कि मौजूदा संसद भवन करीब 100 साल पुराना है। इसकी स्थिति वर्त्तमान जरुरतों के अनुरूप नहीं है। मौजूदा ढांचा अपग्रेड भूकंप क्षेत्र - 04 की जरुरतों को पूरा नहीं करता है। यह भवन अग्नि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी उपयुक्त नहीं माना जा रहा है। मौजूदा इमारत में व्यापक बदलाव की जरूरत है  जो इमारत को खाली किये बिना संभव नहीं है।

गौरतलब है कि समाजसेवी राजीव सूरी और सेवा निवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल अनुज श्रीवास्तव ने मौजूदा इमारत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था। सीपीडब्ल्यूडी ने याचिका से सम्बंधित जबाव कोर्ट में दाखिल करते हुए उक्त बातों का जिक्र किया है।

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