79 लाख 74 हजार की लागत से कलवरिया से अकोढ़ी मेला तक 850 मीटर लंबी सड़क का होगा निर्माण

दुर्गावती कैमूर से संवाददाता धीरेंद्र कुमार सिंह की रिपोर्ट

दुर्गावती( कैमूर) ।। दुर्गावती थाना क्षेत्र के अंतर्गत पंचायत कर्णपुरा के कलवरिया गांव के सड़क का होगा निर्माण कैमूर जिला के दुर्गावती प्रखंड का एकमात्र गांव कलवरिया जहां दलित बस्ती ज्यादा है बरसों बरसों से उपेक्षा का दंश झेल रहा था इस दुर्दशा को देखकर भाजपा के वरिष्ठ नेता दारा सिंह पूर्व के जिलाधिकारी राजेश्वर प्रसाद सिंह से भी गुहार लगाने का काम किया था कलवरिया गांव को किसी भी मुख्य सड़क से जोड़ा नहीं गया था यहां के लोगों को या तो रेलवे पार करके स्टेशन आना पड़ता था या तो नहर के सहारे काफी दूरी तय करके कणपुरा गांव से होकर बाजार जाना पड़ता था आजादी के बाद आज तक न वहाँ पक्की सड़क है नाही बच्चों को पढ़ने के लिए कोई विद्यालय यहां के बच्चे रेलवे लाइन क्रास करके दुर्गावती स्टेशन स्थित विद्यालय पर पढ़ने के लिए आते हैं ज्ञात हो कि रेलवे लाइन क्रास करने के दरमियान काल का ग्रास बन जाते हैं इसको लेकर रेलवे समपार पुल हेतु कई बार रेलवे स्टेशन पर धरना और प्रदर्शन किया जा चुका है इस दुर्दशा को लेकर भाजपा नेता दारा सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को अवगत कराने का काम किया माननीय मंत्री जी ने 1 सप्ताह पहले दूरभाष पर सचिव ग्रामीण कार्य विभाग पटना को अभिलंब सड़क निर्माण हेतु स्वीकृति प्रदान हेतु निर्देश दीया तत्पश्चात करवरिया गांव से अकोढ़ी मेला रोड तक के सड़क का निर्माण हेतु सड़क की लंबाई 850 मीटर तथा इसके निर्माण की लागत राशि 79 लाख 74100 से सितंबर माह में ही सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा सड़क के निर्माण कार्य के संवेदक अंशुमान कुमार सिंह के द्वारा कार्य किया जाएगा इस सूचना को प्राप्त कर ग्रामीणों ने भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री माननीय अश्विनी कुमार चौबे के प्रति आभार व्यक्त किया है लोगों में काफी खुशी का माहौल है लोक तरह-तरह की बधाइयां दे रहे हैं जो गांव काफी बरसों से सड़क के अभाव में दुर्दशा झेल  रहा था आज खुशी का माहौल है माननीय मंत्री जी ने भाजपा नेता दारा सिंह को यह भी बताया की कलवरिया के लोगों को अब रेलवे क्रॉस नहीं करना पड़ेगा ऊपर से पुल के सहारे आना जाना होगा वह भी प्रक्रिया में है तथा बच्चों के पठन-पाठन के लिए शिक्षा विभाग के निदेशक से बात भी किए और कहा गया कि जितना जल्दी हो सके वहां एक विद्यालय का निर्माण किया जाए ताकि गरीब के बच्चे अपने गांव में ही शिक्षा प्राप्त कर सकें तथा उन्होंने निदेशक को निर्देश दिया कि वहां किसी प्रकार से जमीन उपलब्ध कराकर विद्यालय का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाए यदि वहां सरकारी जमीन ना हो तो वहां के किसानों से संपर्क कर जमीन उपलब्ध करा कर अभिलंब विद्यालय का निर्माण कराया जाए ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके

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