लाखों रूपये का पाइप जमीन के अंदर दफन फिर भी नहीं मिला ग्रामीणों को शुद्ध पानी

दुर्गावती से संवाददाता धीरेंद्र कुमार सिंह की रिपोर्ट

दुर्गावती ( कैमूर ) ।। थाना क्षेत्र के सावठ पंचायत का एक ऐसा गांव दहियाव जहां पर जनता को पानी पीने के लिए एक बार नहीं चार चार बार गांव की गलियों में लाखों रुपए खर्च कर ग्रामीणों को पानी पीने के लिए पाइप बिछाए गए। लेकिन आज तक ग्रामीणों को सही मायने में नियमित रूप से  शुद्ध पानी नहीं मिल पाया ।बता दें कि प्रखंड का ऐसा यह गांव दहियाव है जहां कई वर्ष पहले राजकीय नलकूप से टाटा से निर्मित लोहे के पाइप गांव की गलियों में डालकर पानी पीने के लिए सरकार की योजना के तहत पाइप बिछाए गए लेकिन कुछ ही दिनों के बाद जब सरकारी पैसे का बिल निकासी हो गया तो पानी मिलना बंद हो गया और वह पाइप आज भी जमीन के अंदर दफन है। दूसरी योजना दुर्गावती बाजार के बड़ी टंकी के माध्यम से सीआई पाइप को पुनः  बिछाकर गांव के अंदर पानी देने की व्यवस्था की गई लेकिन वह भी योजना कुछ ही दिनों के बाद सही मायने पर धरातल पर नहीं उतरी और बिल निकासी के बाद वह भी जमीन में दफन हो गई ।तीसरी योजना सौर ऊर्जा के द्वारा लाखों रुपए खर्च कर अलग बोरिंग करा कर गांव में छोटी-छोटी टंकी और पाइप के माध्यम से गांव में एक बार फिर पाइप का जाल बिछाया गया लेकिन वह भी सरकारी योजना कुछ दिनों के बाद पुनः मूसको  भव की स्थिति का रूप ले लिया। फिर चौथी योजना नल जल की सरकार के द्वारा गांव की गलियों में घूमने लगी लेकिन उस योजना के तहत भी सही समय पर ग्रामीण जनता को पानी नहीं मिल पा रहा है ।इस नल जल योजना के तहत गांव की गलियों और रोड को  पूर्ण रूप से उखाड़ दिया गया जिससे आवागमन गांव का बाधित है ।कहीं-कहीं पानी का लीकेज तो कहीं कहीं तो जल के पाइप को दरवाजे तक नहीं लगा कर छोड़ दिया गया न ही उस पाइप को जाम किया गया न  ही उसमें नलके लगे ।यही नहीं सरकार के द्वारा गांव के पानी निकासी के लिए 285 फिट होम पाइप 3 फीट का गांव के जमीन के अंदर दफन है। न जलजमाव का पानी निकला बदले गांव की पोखरी और पोखरे को पूर्ण रूप से पाट दिया गया ।यदि इन चारों योजनाओं में जमीन के अंदर बिछाए गए एक ही पाइप से कनेक्शन आने वाली योजनाओं का किया गया होता तो इतने भारी मात्राओं में लाखों रुपए के पाइप का नुकसान नहीं होता और सरकारी पैसे  की अच्छी बचत भी होती तथा दूसरे गांव में उस पाइप से काम किए जा सकते थे। लेकिन एक योजना चालू और दूसरी योजनाओं का चयन एक ही गांव में करना सरकारी खजाने को लूटना दर्शाता है । ऐसी स्थिति में सरकार के कर्मचारी ही न प्रतिनिधि ही ध्यान रखें जिसके कारण एक गांव को पानी पीने के लिए 4 तरह की योजनाएं के बाद भी ग्रामीण पानी पीने से वंचित रह गए। इस तरह लाखों रुपए का चूना लगाना  क्या उचित है। सही मायने में यदि जांच कर लिया जाए तो इस तरह से सरकारी रुपए का दुरुपयोग की जिम्मेवारी किसके मत्थे मढ़ी जाएगी और कौन होगा जिम्मेदार ।ऐसी लूट खसोट को जांच के माध्यम से नहीं रोके जाने से सरकारी कर्मचारी और प्रतिनिधियों की बल्ले-बल्ले है और राजस्व की पूर्ण रूप से छती तो है ही और जनता लाचार और बेबस।

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