कृषि क्षेत्र में विकास के बिना अंतोदय एवं सर्वोदय की कल्पना बेकार।

दुर्गावती से धीरेंद्र कुमार सिंह की रिपोर्ट

दुर्गावती  ( कैमूर ) ।। भारत में कृषि के विकास के बिना अंतोदय और सर्वोदय की कल्पना बेकार है उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता एवं छात्र ने कहीं बातचीत के क्रम में रवि शेखर  बी कॉम , एम बी ए  पीएचडी शोध का विषय पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्ममानववाद , अंत्योदय एवं महात्मा गांधी के सर्वोदय का तुलनात्मक दर्शन के शोध विषय पर के दौरान उक्त विन्दुओं पर शोधरत ने। इस बिंदुओं पर दृष्टिगत रखते हुए सम्पूर्ण भारत , समस्त राज्यों एवं समाज के अन्यान्य क्षेत्रों एवं वर्गों में भ्रमण कर समुचित वस्तुस्थिति के अध्ययन के लिए क्रियाशील है । जिसके फलस्वरूप समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति से लेकर देश के शीर्षस्थ व्यक्तियों से मिलना और उनसे  परिचर्चा का अवसर प्राप्त होता रहता है । इसी क्रम में भारत के वरिष्ठतम राष्ट्र चिंतक , वरिष्ठ प्रचारक ( रा. स्व. संघ )   गुरुवर  के. एन. गोविंदाचार्य जी  से उक्त शोध विषय पर चर्चा करने का अवसर प्राप्त हुआ है । जिसके अंतर्गत देश और समाज में आर्थिक , शैक्षणिक , सामाजिक एवं औद्योगिक क्षेत्रों में किस प्रकार का कार्य हो रहा है , जबकि किस प्रकार से होना चाहिए ? जिससे समाज के अंतिम व्यक्ति का उदय भी संभव हो , उक्त विषय पर व्यापक चर्चा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । 


               इसी क्रम में वरिष्ठ समाजवादी नेता , प्रख्यात लोहियावादी , पूर्व केंद्रीय मंत्री - सांसद माननीय हुकुमदेव नारायण यादव जी से उनका मिलना हुआ जिनके द्वारा यह विषय सामने आया कि उन महापुरुषों के कार्य करने की शैली अलग अलग हो सकती है परंतु उद्देश्य एक ही थे , कि समाज के अंतिम व्यक्ति का उदय ( अंत्योदय ) एवं समस्त वर्गों का उत्थान ( सर्वोदय) का जो है वह कृषि पर ही आधारित है।


        अभी भारत के वरिष्ठ पत्रकार , संपादक एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री तरुण विजय जी से भी उनकी चर्चा हुई , चर्चा के दौरान यह विषय भी  सामने आया कि देश के अनेक भागों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद व अंत्योदय के सिद्धांतों पर कार्य हो रहे हैं । तरुण विजय जी द्वारा एकात्म मानववाद पर गहन अध्ययन एवं प्रयोग भी किया जाता रहा है ।


              राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं भारतीय किसान संघ  के राष्ट्रीय संगठन मंत्री  माननीय दिनेश जी कुलकर्णी से भी चर्चा का अवसर मिला , जिसमे स्पष्ट हुआ कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चिंतनधारा में यह भी शामिल था कि भारत में कृषि क्षेत्र के विकास के बिना अंत्योदय एवं सर्वोदय की परिकल्पना सार्थक रूप नहीं ले पाएगी ।

     

                देश के अन्य क्षेत्रों में प्रायोगिक अनुभव लेने का प्रयास करते रहते हैं  जहाँ एकात्म मानववाद  एवं अंत्योदय तथा सर्वोदय के सिद्धांतों पर प्रयोग हो रहे हैं , उदाहरण स्वरूप उत्तर प्रदेश - छत्तीसगढ़ के सिमावर्ती क्षेत्रो में आदिवासी एवं वनवासी भाईयों के बीच में वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा अंत्योदय के सिद्धांतों पर  शैक्षणिक , आर्थिक , सामाजिक एवं औद्योगिक  उत्थान पर कार्य हो रहा है , जिसके परिणाम स्वरूप तमाम वनवासी - आदिवासी भाई सरकारी संस्थानों में , तकनीकी क्षेत्रों में , शैक्षणिक संस्थानों में विकासोन्मुख होकर प्रगति की ओर अग्रसर हैं ।  


          देश के अनेक राजनेताओं , उद्योगपतियों , सामाजिक क्षेत्रों तथा शैक्षणिक क्षेत्रों में कार्य कर रहे विद्वतजनों से मिलकर उत्तर प्रदेश , बिहार झारखंड एवं अन्य राज्यों एवं क्षेत्रों के समस्यायों तथा उनके समाधान और क्रियान्वयन पर गंभीर चर्चाएं निरंतर कर रहे हैं ,  जिनका विवरण समय - समय पर आपके समक्ष श्रृंखलाबद्ध  रूप से प्रस्तुत करते रहेंगे । 

 

     अगले वर्ष के प्रारंभ में ,  महामहिम उपराष्ट्रपति जी , माननीय लाल कृष्ण आडवाणी जी एवं माननीय मुरली मनोहर जोशी , से मिलकर  पंडित दीन दयाल जी के साथ बिताए हुए जीवंत अनुभव एवं कार्यपद्धत्ति पर विशेष चर्चा की योजना उनकी है । 


 इस महत्वपूर्ण शोधकार्य में उनके गाइड -- प्रो. के. के. सिंह सर , विश्वविद्यालय प्रशासन तथा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेष सहयोग एवं मार्गदर्शन मिल रहा है ।। जिसके  लिए वे कहते हैं कि मैं हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं ।

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