सम्पूर्ण स्तनपान और अनुपूरक आहार से अति कुपोषित बच्चों की संख्या में आएगी कमी : निदेशक, आईसीडीएस


पहले घंटे के अंदर स्तनपान है नवजात का पहला टीका- मंत्रेश्वर झा 

एनीमिया मुक्त भारत के लिए सभी की सहभागिता जरूरी- डॉ. बी.के.मिश्र 

माँ का दूध है शिशु के लिए ऊर्जा  का सर्वोत्तम स्रोत- डॉ. अनुपम श्रीवास्तव 

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए परिवार एवं समुदाय की भूमिका अहम- डॉ. शिवानी दर 

विश्व स्तनपान सप्ताह के उपलक्ष में आईसीडीएस और यूनिसेफ के तत्वावधान में वेबिनार का  आयोजन

पटना/ 3 अगस्त| स्तनपान को बढ़ावा देने और इसे आपनी आदत में शुमार करने के लिए हर वर्ष 1 से 7 अगस्त को विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है| मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए स्तनपान की भूमिका अहम् रहती है और किसी भी बच्चे के सर्वांगीण  विकास की कुंजी होती है| स्तनपान को जन आंदोलन बनाने के लिए सरकार एवं विभिन्न विभाग प्रयासरत हैं और इसी कड़ी में आज समेकित बाल विकास विभाग और यूनिसेफ के तत्वावधान में स्तनपान पर वेबिनार का आयोजन किया गया| वेबिनार को संबोधित करते हुए अलोक कुमार, निदेशक समेकित बाल विकास विभाग ने कहा जीवन के शुरुआती हजार दिनों की महत्ता सभी समझते हैं और इन हजार दिनों में 6 महीने सिर्फ स्तनपान के लिए होते हैं

| गाँव तथा घर घर में 6 महीने तक सिर्फ स्तनपान के सन्देश को समाहित करना सबकी जिम्मेदारी है| अलोक कुमार ने बताया विभिन्न शोधों से यह ज्ञात है की सम्पूर्ण स्तनपान और अनुपूरक आहार से अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी लायी जा सकती है|

पहले घंटे के अंदर स्तनपान है नवजात का पहला टीका- मंतरेश्वर झा:

वेबिनार को संबोधित करते हुए विश्व बैंक के सलाहकार मंत्रेश्वर झा  झा ने कहा जन्म के पहले घंटे के अंदर स्तनपान नवजात के लिए पहला टीका होता है| इससे नवजात में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है जो उसे किसी भी तरह के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है| कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए पहले घंटे के अंदर स्तनपान, 6 महीने तक सिर्फ स्तनपान और 6 महीने के उपरांत स्तनपान के साथ शिशु को ऊपरी आहार देकर कुपोषण पर लगाम लगाना संभव है| स्तनपान को जन आंदोलन बनाकर इसे घर घर पहुंचाने की जरूरत है|

एनीमिया मुक्त भारत के लिए सभी की सहभागिता जरूरी- डॉ. बी.के.मिश्र:

“सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग एनीमिया मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयासरत है और इसे हासिल करने के लिए सभी संबद्ध विभागों को आपसी तालमेल के साथ इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकजुट होने की जरूरत है”, उक्त बातें “एनीमिया मुक्त भारत” कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. बी.के.मिश्र ने अपने संबोधन में कही| डॉ. मिश्र ने बताया सामुदायिक स्तर पर लोगों का व्यवहार परिवर्तन एवं अग्रिम पंक्ति के कर्मियों का क्षमतावर्धन कर एनीमिया मुक्त भारत के सपने को साकार किया जा सकता है|

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए परिवार एवं समुदाय की भूमिका अहम- डॉ. शिवानी दर:

वेबिनार के अपने संबोधन में यूनिसेफ की पोषण विशेषज्ञ डॉ. शिवानी दर ने कहा स्तनपान या मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सिर्फ महिला और उसके बच्चे की जिम्मेदारी नहीं होती है अपितु इसमें एक तीसरे सहायक की जरूरत होती है| यह तीसरा व्यक्ति परिवार का कोई सदस्य अथवा कोई अग्रिम पंक्ति के सेवाप्रदाता या समुदाय से  भी हो सकता है| जन्म के पहले घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत करने के लिए संस्थागत प्रसव की कार्यप्रणाली पर ध्यान देने की जरूरत है| सामुदायिक बैठकों एवं गृहभ्रमण के दौरान जागरूकता सत्रों में पुरुषों की सहभागिता सुनिश्चित करना आवश्यक है|  

माँ का दूध है शिशु के लिए ऊर्जा का सर्वोत्तम स्रोत- डॉ. अनुपम श्रीवास्तव: 

वेबिनार को संबोधित करने अलाइव एंड थरायिव की वरीय राज्य कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने कहा माँ का दूध किसी भी शिशु के लिए ऊर्जा  का सर्वोत्तम स्रोत होता है| नवजात का नियमित स्तनपान शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सहायक होता है| माँ का दूध नवजात को कई प्रकार के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है|

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