कुष्ठ रोगियों की पहचान के लिए जिले में पहले चरण के तहत शुरू हुआ खोज अभियान

तीन साल पूर्व चिह्नित  हुए मरीजों के गांव में चलाया जा रहा सघन डोर टू डोर भ्रमण

- कुष्ठ रोगियों के सम्पर्क में रह रहे 20-20 लोगों को दी जाएगी रिफामपिसीन की एक डोज


बक्सर ।। कुष्ठ रोग का इलाज संभव है| इसके उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा लगातार अभियान चलाया  जा रहा  है। जागरूकता के अभाव में अभी भी इस रोग का संपूर्ण उन्मूलन एक चुनौती बना हुआ है। हालांकि, जिले में कुष्ठ रोगियों की खोज एवं उसके उपचार के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने सिविल सर्जन और कुष्ठ नियंत्रण पदाधिकारी को पत्र भेजा है। जिसके तहत जिला स्वास्थ्य समिति ने खोज और उपचार अभियान शुरू भी कर दिया गया। दिए गए लक्ष्य के अनुसार जिले में 31 अक्टूबर तक यह अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान न केवल नए मरीजों की खोज की जाएगी, बल्कि तीन साल पूर्व चिह्नित  हुए लोगों के परिजनों और पड़ोसियों का भी उपचार किया जाएगा। ताकि, कोई भी व्यक्ति कुष्ठ रोग की चपेट में न आ सके।

 प्रारंभिक अवस्था में इलाज से विकलांगता से बचाव संभव :

कुष्ठ नियंत्रण पदाधिकारी डॉ.शालिग्राम पांडेय ने बताया, रोगी को इसे छुपाना नहीं चाहिए। शरीर के किसी भी हिस्से में तम्बाई रंग का दाग हो और उस दाग में सुनापन हो तो वह कुष्ठ रोग हो सकता है। हाथ और पैर के नस का मोटा होना, दर्द होना एवं झुनझुन्नी होना भी कुष्ठ के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं। कुष्ठ का इलाज प्रारंभिक अवस्था में होने से विकलांगता से बचा जा सकता है। उपचार के बाद कुष्ठ रोगी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं करते हैं। कुष्ठ रोग में एमडीटी की दवा का पूरा खुराक खाना जरूरी होता है। हालांकि, लोगों में पूर्व की अपेक्षा थोड़ी जागरूकता बढ़ी तो है, लेकिन अभी कई मरीजों के मन में इसको लेकर दुविधाएं देखी  जाती  हैं।

रोगियों के 20 परिजनों को दी जाएगी दवा की खुराक :

डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, खोज अभियान के दौरान कुष्ठ रोगियों के कम से कम 20 परिजनों एवं उनके आसपास रहने वाले लोगों को रिफामपिसीन दवा की एक डोज दी जाएगी। ताकि, उनके शरीर में कुष्ठ रोग के कीटाणु घर नहीं बना सके  और उन्हें अपने आगोश में न ले सके । उन्होंने बताया कि यह दवा 2 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को दी जाएगी। उम्र के हिसाब से सबकी दवा की मात्रा अलग होगी। हालांकि, डोज एक ही होगा। उन्होंने बताया, कुष्ठ रोगियों के संपर्क में आए लोगों को अगर इस दवा की एक डोज खिला दी  जाए तो उसको जीवनभर कुष्ठ की बीमारी नहीं होगी। मतलब कि अगर वह व्यक्ति किसी कुष्ठ रोगी के संपर्क में आता है तो भी उसको कुष्ठ जैसी बीमारी होने की संभावना न के बराबर रहेगी। 

सदर प्रखंड में 96 टीम को किया गया है प्रतिनियुक्त :

सदर प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र के पीएमडब्ल्यू नागेश दत्त पांडेय ने बताया, जिला ने कुष्ठ रोग के उन्मूलन की दिशा में काफी काम किया है। बड़ी संख्या में रोगी दवा का पूरा चक्र लेने के बाद रोगमुक्त हो चुके हैं। वर्तमान में रोगी खोज अभियान में कर्मी ग्रासरूट लेवल पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया, सदर प्रखंड में 96 टीम की टीम को खोज अभियान में लगाया गया  है। इनमें 85 टीम ग्रामीण इलाकों में और 11 टीम शहरी इलाकों में प्रतिनियुक्त की गई है । प्रत्येक टीम में 2-2 लोगों को रखा गया है, जिनमें एक-एक आशा कार्यकर्ता भी शामिल हैं । नए रोगी की खोज करने पर प्रत्येक रोगी पर आशा को 250 रुपये तथा रोजाना 50 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। खोज अभियान के दौरान हाउस की संख्या, घर में मुखिया का नाम, जांच किए गए सदस्यों की संख्या और व्यक्ति का नाम आदि सर्वे प्रपत्र में भरना होता है।

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