कुष्ठ से विकलांगता की स्थिति में 1500 रुपये प्रति माह दिया जाता है आर्थिक सहयोग : डॉ. शालिग्राम

- जिले में कुष्ठ रोगी खोजी अभियान के बाद चलाया जा रहा है सिंगल डोज रिफैम्पिसिन कार्यक्रम

- चिन्हित मरीजों और उनके परिजनों को खिलाई जा रही हैं दवाएं


बक्सर ।। राज्य सरकार व स्वास्थ्य समिति के निर्देश में आगामी 31 अक्टूबर तक कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया जा रहा है। ताकि, मरीजों की खोजकर कर उनका इलाज किया जा सके। इस क्रम में अभियान के पहले चरण एक्टिव केस डिटेक्शन (एसीडी) के तहत जिले के सभी प्रखंडों में मरीजों की खोज की जा चुकी है। लेकिन, अब उनके इलाज के साथ-साथ उनके संपर्क में आये लोगों को दवाएं खिलाई जा रही है। साथ ही, रोग के लक्षणों के आधार पर उनको छह महीने तथा एक साल की दवा का कोर्स घर तक नि:शुल्क पहुंचाई जाएगी। दवा पहुंचाने वाले आशा कर्मी को चार सौ रुपये आर्थिक सहायता भी दी जाती है। वहीं, मरीज को खोज कर लाने वालों को भी आर्थिक सहायता स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिया जाता है। इतना ही नहीं उसे विकलांगता की स्थिति में 15 सौ रुपये प्रति माह आर्थिक सहयोग दिया जाता है। वहीं, वैसे मरीजों के बच्चों की परवरिश योजना के तहत एक हजार रुपये प्रति बच्चे दो बच्चों के रूप में प्रति माह आर्थिक सहायता बालिग होने तक दी जाती है।

खोजी अभियान में जिले में मिले कुल कुष्ठ के 45 नये मरीज :

जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, जिले में पिछले माह से ही एक्टिव केस डेटेक्सशन कैंपेन के तहत नियमित निगरानी (एसीडीसी-आरएस) के लिये आशा कार्यकर्ताओं को लगाया गया था। इस क्रम में जिले के 2135281 की आबादी में 1012936 लोगों की जांच का लक्ष्य रखा गया था। जांच और खोजी अभियान के दौरान तीन सितंबर तक जिले के 639828 लोगों की जांच की जा चुकी है। जिनमें से अब तक कुल 357 लाेग संदिग्ध पाये गये। जिनकी पुन: जांच करने के बाद कुल 45 लोगों में कुष्ठ रोग की पुष्ठि की गई। जिनकी इलाज शुरू कर दिया गया है। हालांकि, एसीडीसी-आरएस के बाद अब पोस्ट एक्सप्लोजर प्रोफ्लेक्सिस सिंगल डोज रिफैम्पिसिन (पीईपी-एसडीआर) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके तहत मरीज व उनके परिजनों के अलावा आसपास के लोगों को भी रिफैम्पिसिन की दवा खिलाई जाती है।

कुष्ठ का उपचार पूरी तरह नि:शुल्क किया जाता है :

पारा मेडिकल वर्कर (पीएमडब्लू) नागेश दत्त पांडेय ने बताया, यह पूरी तरह से ठीक होने वाले माइक्रो बैक्टीरिया जनित बीमारी है। यह दो तरह के बीमारी का उपचार पूरी तरह नि:शुल्क किया जाता है। जिसमें पहले चरण में पीबी नामक बीमारी का उपचार 6 महीने तक दवा नि:शुल्क देकर की जाती है। जबकि दूसरे चरण में एमबी नामक बीमारी का इलाज एक साल तक नि:शुल्क दवा देकर की जाती है। उन्होंने बताया, एसीडी कार्यक्रम के तहत छोटकी सरिमपुर में मिले दो कुष्ठ रोगियों व उनके आसपास के 20 से 30 लोगों की जांच कर रिफैम्पिसिन दवा खिलाई गई। (पीईपी-एसडीआर) का मुख्य मकसद रोग होने से पहले ही प्रोबेशन पीरियड में कीटाणु को मार देना है, ताकि रोग की शुरुआत ना हो सके। वहीं, नए मिले मरीज वाले चिन्हित गांव में आगे भी यह कार्यक्रम चलेगा।

रिपोर्टर

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