कोरोना की मार-----मृदुला घई

मायूसी के

उदासी के 

दर्द के 

दहशत के 

बादल घनघोर 

चारों ओर 

देख इंसान 

निकलें प्राण 

हाय बीमारी

परेशानी भारी 

मरघट सा

शहर था 

शहर सा 

मरघट था

मौत पंजा

कसा शिंकजा

लहर खूनी

सड़कें सूनी



बाज़ार वीरान

खाली मैदान

सुनाएँ कहानी

तस्वीर पुरानी

बालक निगोड़े

खेलें दौड़ें 

तितली पकड़ें  

गिलहरी जकड़ें

फिर छोड़ें

फूल तोड़ें

बूढ़े जवान 

जागरूक इंसान

करें सैर

दोनों पहर 

योग व्यायाम

सुबह शाम

युगल जोड़े

शर्माएं थोड़े

छुपीसी मुलाकातें 

प्यारी बातें


फैला डर 

बैठे घर

स्कूल इमारत

ढूँढें शरारत 

गिनती पहाड़े

बच्चे सारे

कॉलेज फिज़ाएँ  

तनहा भरमाएँ

दीवारें बोलें

राज़ खोलें

मनमौजी टोली 

हँसी ठिठोली

नैन मट्टक्का

मजनूँ भटका 


हाय मोहब्बत

प्यारी सोहबत 

याद उसकी 

चाय चुस्की 

फ़लसफे बड़े 

खड़े खड़े 

साथ पढें 

विचारें लड़ें

मीठा शोर 

हाय चोर 

शून्य दे 

गया ले 


रूठा रब 

कैसा तांडव 

काटे छांटें 

मौत बांटे

दाएं बाएं 

अपने पराए 

जान गवाएं 

यूहीं जाएं 


हर पल 

कैसा कोलाहल

चीख पुकार 

ये हाहाकार

डॉक्टर अस्पताल 

बुरा हाल

घुटता दम

ऑक्सीजन कम

सिलिंडर लाओ 

इसे बचाओ 

किवाड़ खोलो 

अंदर लेलो


जल्दी करो 

भर्ती करो 

इलाज करो 

रहम करो 

कर्म करो 

शर्म करो 

किवाड़ बंद 

क्षण चंद 

टूटा दम 

काम खत्म 

नहीं एक 

थे अनेक 

मंज़र ऐसे 

प्रलय जैसे 


अपने खोते

बहुत रोते 

आत्मा मैली 

दहशत फैली

जानलेवा बीमारी 

कई व्यापारी 

करें कालाबाज़ारी

मुसीबत भारी 

राक्षस सरी 

गायब करी


अस्पताल से 

दुकान से 

दवा ज़रूरी

ऑक्सीजन पूरी 

भरे गोदाम 

आदमी आम 

खूब परेशान

दुकान दुकान 

ज़मीन आसमान 

ख़ुदा गवाह 

ढूंढें दवा 


कीमत बनी

दस गुणी

सारे ज़ेवर 

बेच कर 

गिरवी घर 

बढ़ता डर

बाबा बचें

अम्मा बचें 

पैसा लेलो

जीवन देदो 

बेचा बेकार 

घर द्वार 

लुट गए

दोनों गए 


काले चोर 

मुनाफ़ा ख़ोर

ज़ुल्म घोर

मज़बूरी निचोड़ 

आत्मा मार

पैसे भरमार

हुए अमीर 

बेच ज़मीर

दिल थामा 

मोम जामा 

ओढ़े लाशें  

कंधें तलाशें 


उड़ा होश 

नकाब पोश

बड़े बदहवास

भारी साँस

सहारा तलाश

खीचें लाश 

गाड़ी डाल 

जैसे माल 

जामा पहनें

दोनों बहनें 

धुंधला ज़हन

मन बेचैन 


ऊँगली बुलाया 

आगे बैठाया

बढ़ती छटपट 

पहुचें मरघट 

फेंकीं लाशें

जगह तलाशें

चारों तरफ 

लोग बर्फ 

दिल थामें 

पहनें जामें

आँसू पसीना 

टीसता सीना 


घुटता साँस

ना पास 

चाचा चाची 

मामा मामी 

पड़ोसी पड़ोसन

करीबी जन

रिश्ते बेमाने 

कई बहाने 

नहीं ध्यान 

विधि विधान

अंतिम सम्मान 

कोई दान


किधर जाएं 

कहाँ जलाएं 

ज़रा कहीं 

जगह नहीं 

कई सौ

दिखतीं लौ

लाशें प्रज्वलित 

वर्ण दलित 

अमीर गरीब 

दुश्मन रकीब

देसी घी

तेल भी


बेहिसाब डालें

जल्दी मारे 

अभी उठालो

फूल घरवालों

जगह वो 

खाली हो 

आगे बढ़ें 

पंक्ति चढ़ें 

मील दो 

लाश दो 

धीरे चलती 

किसे जल्दी 

पंक्ति अजीब 

कैसा नसीब 


मर कर 

इंतज़ार पर 

कब जलें 

यमलोक चलें

कैसा अलबेला

लाश मेला

पंक्ति हिलती 

करूँ बिनती 

बाबा चलो 

माँ चलो 

मिलकर खींचे

दांत भीचें 

बारी आई

आग लगाई


मंत्र नहीं

पूजा नहीं

किया खाक 

दी राख

टूटे फूटे 

गए लूटे 

छुटा हाथ

हुए अनाथ 

नहीं साथ 

रोते ज़ज़्बात

बुरा हाल 

सोलह साल

माहौल उग्र

नाज़ुक उम्र

ख़ौफ़नाक आँधी 

हिम्मत बाँधी


इक दंपति 

बहुत संपत्ति   

हमें अपनाया 

अपना बनाया 

प्यार करते 

हमपे मरते 

पढ़ाएं लिखाएं 

खिलौने दिलाएं 

गले लगाएं 

हमें समझाएं

आँसू पोंछो

अच्छा सोचो 


रौशन पल 

छटे बादल 

उम्मीद जागे 

उदासी भागे 

सोए बिन 

रात दिन 

शोध करें 

खोज करें 


वैक्सीन बनाएं 

जान बचाएं 

कर्तव्य निभाएं 

हौसला बढ़ाएं 

हथेली पर 

जान धर 

निकल के 

घर से 

देखभाल करें

इलाज करें

डॉक्टर नर्स

ईश्वर दरस 


बीमारी डराती 

हौंसला डगमगाती

हमारी रक्षा 

सीमा सुरक्षा

करें जवान 

कितने महान 

मृत्यु साया 

डर छाया

फिर भी 

कड़ा जी


कानून व्यवस्था 

दुर्गम रस्ता 

नाका पहरा 

श्रम गहरा 

धूप कड़ी 

लिए छड़ी 

बहाएँ अपना

खून पसीना 

दुशवार जीना 

खाना पीना 

बीमारी आई 

जान गंवाई 

पुलिस हमारी 

ज़िम्मा भारी 

कर तैयारी 

काम ज़ारी


देखो वो 

करिश्मा जो 

कई हाथ 

देते साथ

खाना लाएं 

अस्पताल पहुंचाएं 

दवा दिलाएं 

इलाज करवाएं 

मौत से 

छीन लें

ऑक्सीजन दें

इंजेक्शन दें

तम्बू लगाएं 

अस्पताल बनाएं 


कुछ इंसान 

लाखों जान 

बचाएं ऐसे 

प्रभु जैसे 

मानों ऐहसान 

इतने भगवान 

सुरक्षित प्राण 

देश महान  

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट