धूम धाम,हर्षोल्लास,शांति के साथ मना मुहर्रम का त्योहार ताजिया

राजीव कुमार पांडेय की रिपोर्ट


रामगढ़।। प्रखंड क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य गांव डरवन मे बड़े धूम धाम,शांति के साथ मनाया गया मुहर्रम। गांव मे तीन जगह ताजिया रखा गया। पहला मस्जिद के चबूतरे पर,दूसरा वकील अंसारी के घर के सामने,तीसरा चौक मे, एक ही ताजिया को तीन जगह रखकर ताजिया जुलूस निकाला जाता है।और तीनो जगह पर बारी बारी से कलाकारी का प्रदर्शन किया जाता है।

बच्चें,नौजवान, बूढ़े सब उत्साह के रंग मे सराबोर  लोग छाती पीटकर शोक व्यक्त करते गाते हुए दिखे।लकड़ी खेलने, कर्तब दिखाने मे सबकी भागीदारी दिखी।नौजवानों ने आग जलाकर कर्तब दिखाया। डीजे के धुन पर बच्चे नाचते दिखे।मुस्लिम वर्ग के साथ साथ हिंदू वर्ग के बच्चे भी भाग लिए।हसन हुसैन की याद मे शौकत अंसारी उर्फ बबुली अंसारी के तरफ से एक से बढ़कर एक शायरी पेश किया गया।ताजिया समारोह मे भाग लेने वालों मे शौकत अंसारी उर्फ बबुलीअंसारी , हैदर अंसारी ,हारून अंसारी ,फिरोज दीन रजक , समशाद , शहंशाह,इसरार  ,अकबाल ,अफजल ,सेरू , जाहिद ,बंटी हस्मी  , वकील अंसारी  ,मखबुल उर्फ मलखान सिह , छोटू अन्य लोग उपस्थित रहे।

यह महोत्सव हसन,हुसैन की शहीदी के याद मे मनाया जाता है।इसे हजरत इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक माना जाता है और इस जुलूस मे लोग छाती पीटकर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते  करते हैं 

आइए जानते हैं मुहर्रम का इतिहास

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार पैगंबर मोहम्मद के पोते हजरत इमाम हुसैन को मुहर्रम के महीने के महीने में कर्बला की जंग में परिवार और दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था. कर्बला की जंग हजरत इमाम हुसैन और बादशाह यजीद की सेना के बीच हुई थी. 

मान्यताओं के मुताबिक, मुहर्रम के महीने में 10वें दिन ही इस्लाम की रक्षा के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी. इसलिए मुहर्रम महीने के 10वें दिन मुहर्रम को मनाया जाता है. बता दें कि 1400 साल पहले कर्बला में जंग हुई थी.

शिया-सुन्नी समुदाय क्या करते हैं

इस दिन शिया समुदाय के लोग मातम मनाते हैं. मजलिस पढ़ते हैं और काले रंग के कपड़े पहनकर शोक व्यक्त करते हैं. इस दिन शिया समुदाय के लोग भूखे-प्यासे रहकर शोक व्यक्त करते हैं. जबकि सुन्नी समुदाय के लोग रोजा-नमाज करके अपना दुख जाहिर करते हैं।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट